चंडीगढ़ | हरियाणा में ई- टेंडरिंग को लेकर विरोध जता रहे सरपंच प्रतिनिधियों के हक में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बड़ा बयान दिया है. हुड्डा ने सरपंचों का समर्थन करते हुए उनके विरोध को जायज ठहराया और गठबंधन सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि इस मामले पर जल्द-से-जल्द विचार किया जाएं ताकि गांवों में विकास कार्यों की रफ्तार तेजी पकड़ सके.
मतदाताओं का टूटेगा विश्वास
दीपेंद्र हुड्डा ने ई- टेंडरिंग प्रणाली का विरोध कर रहे सरपंचों का समर्थन करते हुए कहा कि जब सरपंचों को अधिकार ही नहीं देने थे तो पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव करवाने की जरूरत ही नहीं थी. उन्होंने पंचायतों के अधिकार छिनने के फैसले पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि इससे मतदाताओं का सरपंच के प्रति विश्वास खत्म होगा. एक व्यक्ति गांव की जनता को विकास कार्यों का विश्वास देता है तब जाकर जनता उसे वोट की ताकत से पंचायत प्रतिनिधि चुनती है.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरपंच प्रतिनिधियों को दो लाख रुपए तक की पावर तक सीमित रखना सरासर ग़लत है. दो लाख रुपए में एक गली का निर्माण नहीं हो सकता है तो पूरे गांव में विकास कार्य कैसे होंगे. मेरी सरकार से गुजारिश है कि वो इस फैसले पर पुनर्विचार करें और सरपंचों को 20 लाख रुपए तक के काम की पावर दें.
सरकार पंचायतों के अधिकार छीनकर अफसरों को क्यूँ देना चाहती है। अगर पंचायतों को अधिकार ही नहीं देने थे तो चुनाव की क्या जरुरत थी?
आज जींद मिनी सचिवालय पर जारी सरपंचों के धरने पर पहुंच उनका समर्थन किया। सरकार अविलम्ब यह फैसला वापस ले। pic.twitter.com/VdRLIW65FN
— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) January 21, 2023
वहीं, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के लिए शिक्षा की बाध्यता व राइट टू रिकॉल जैसे नियम लागू करने के फैसले पर दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब ये नियम पंचायत प्रतिनिधियों पर लागू हो सकतें हैं तो विधायकों और सांसदों पर भी लागू होने चाहिए. हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश का हर वर्ग मौजूदा गठबंधन सरकार से दुखी हैं. इस सरकार का दिवालिया पीट चुका है और प्रदेश की जनता बदलाव चाहती है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!