हरियाणा सरकार ने पंत की जान बचाने वाले ड्राइवर- कंडक्टर को दिए गलत प्रशंसा पत्र, ऋषभ की मां ने दिया ये बयान

चंडीगढ़ | ऋषभ पंत को बचाने वाले हरियाणा रोडवेज के चालक- परिचालक को गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड के देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. हालांकि, दोनों ने हरियाणा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. देहरादून में उसके यहां परिजन पहुंचे थे. वहां के कार्यक्रम में क्रिकेटर पंत की मां सरोज पंत ने ड्राइवर- कंडक्टर के लिए एक शख्स के जरिए उनके परिवार वालों को संदेश भेजा है. उन्होंने बेटे के ठीक होने पर दोनों से मिलने की बात कही है.

Rishabh Pant Driver

हाल ही में, ऋषभ पंत नेटिज़न्स के निशाने पर आ गए. पंत ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने वालों का शुक्रिया अदा किया लेकिन गोल्डन ऑवर में उनकी जान बचाने वाले ड्राइवर- कंडक्टर को भूल गए. जिसके बाद, उनके ट्वीट पर ही फॉलोअर्स ने उन्हें इस बात की याद भी दिलाई.

सीएम धामी ने 1-1 लाख रुपए दिए

कार्यक्रम में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दोनों के परिवारों को एक- एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया है. इसके अलावा, उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने 20-20 हजार रुपये और गुड सेमेरिटन अवार्ड दिया है.

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हरियाणा सरकार की बड़ी लापरवाही, दिए गलत प्रशंसापत्र

हरियाणा के यमुनानगर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में चालक सुशील व परिचालक परमजीत को सम्मानित भी किया गया है. सीएम मनोहर लाल ने दोनों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया. इस उद्धरण में एक बड़ी गलती है. इसमें हादसे की तारीख 31 दिसंबर लिखी गई है जबकि घटना 30 दिसंबर की है. उधर, सीएम ने मंच पर ही दोनों को बधाई दी और उनके गांवों के नाम पूछे.

ड्राइवर कंडक्टर ने बताया कि कैसे पंत की जान बची….

बस से हरिद्वार से पानीपत आ रहे थे करनाल के बल्लन गांव निवासी चालक सुशील ने बताया कि वह पिछले करीब 1 माह से डिपो की बस संख्या एचआर67ए8824 में पानीपत से हरिद्वार और हरिद्वार से पानीपत रूट पर बस चला रहा है. शुक्रवार को वह रोजाना की तरह सुबह 4:25 बजे हरिद्वार से पानीपत के लिए रवाना हुए.

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सुबह करीब 5:20 बजे जब वे नरसन गुरुकुल के पास पहुंचे तो सामने से एक कार आई और देखते ही देखते कार उनके पास पहुंच गई और सड़क पार कर रेलिंग से जा टकराई और उनकी बस के सामने आ गई. इससे पहले उसने बस का इमरजेंसी ब्रेक लगाया तब तक गाड़ी चार चक्कर लगाकर कंडक्टर की तरफ चली गई. जिसके बाद, गाड़ी सीधी खड़ी हो गई.

अपनी जान जोखिम में डालकर गाड़ी चलाने पर कंडक्टर परमजीत ने मर्सिडीज ड्राइवर को चिल्लाकर कहा, कहां कौन है तू? नहीं देख सका कि क्या चला रहा था? जिस पर मर्सिडीज सवार शख्स ने कहा कि मैं भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत हूं. हालांकि, चालक सुशील ने उसे नहीं पहचाना.

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इसके बाद, चालक सुशील ने पुलिस कंट्रोल रूम नंबर 112 पर डायल किया और कंडक्टर ने एंबुलेंस कंट्रोल रूम नंबर 108 पर बार- बार फोन किया. करीब 12 से 15 मिनट में एंबुलेंस आ गई जिसके बाद ऋषभ पंत और उनका सामान एंबुलेंस में रख दिया गया.

मां का फोन था बंद

एंबुलेंस वाले से कहा गया कि पंत भारतीय क्रिकेटर हैं इसलिए उन्हें किसी अच्छे अस्पताल में ले जाओ. करीब 20 मिनट तक बस चालक, परिचालक और यात्री वहीं खड़े रहे. पंत को अस्पताल ले जाने के बाद ही बस और यात्री पानीपत के लिए रवाना हुए. पंत के कहने पर उन्होंने अपनी मां को भी कॉल किया लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ था.

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