यमुनानगर | हरियाणा में E टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल को लेकर खट्टर सरकार का विरोध कर रहे प्रदेश भर के सरपंचों के समर्थन में पूर्व केंद्रीय मंत्री खुलकर सामने आ गए हैं. एक तरफ सीएम मनोहर लाल विरोध प्रदर्शन कर रहे सरपंचों को 31 मार्च तक काम पर लौटने का अल्टिमेटम दे चुके हैं तो वहीं इस बयान के बाद सरकार के प्रति सरपंचों की नाराज़गी और बढ़ गई है.
केन्द्र की बीजेपी सरकार में इस्पात मंत्री रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह ने विरोध कर सरपंचों का समर्थन करते हुए कहा है कि जब छोटी सरकार के अधिकार ही छीन लिए गए तो फिर छोटी सरकार का क्या औचित्य रह गया है. अगर सरपंचों से पॉवर ही छीन ली है तो उनके पद का क्या मतलब रह गया है.
दो लाख रुपए के अधिकार में सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा सकते हैं. यही नहीं उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं में सरपचों से ऊपर के पदों पर बैठे हुए अधिकारियों को लेकर भी बड़ी बात कहते हुए जोरदार निशाना साधा है.
दूध के धुले नहीं है अधिकारी
यमुनानगर में एक शादी समारोह में शिरकत करने पहुंचे बीरेंद्र सिंह ने सरपंचों के विरोध प्रदर्शन पर बेबाकी से अपनी राय रखते हुए खट्टर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब सरपंचों से अधिकार ही छीन लिए जाएंगे तो फिर गांवों में छोटी सरकार का क्या मतलब रह जाएगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरपंचों के सिर पर ग्राम सचिव, पंचायत अफसर, BDPO बैठे हैं. क्या ये सब लोग दूध के धुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि क्या चल रहा है इसलिए इस बारे में विचार करने की जरूरत है. प्रदेश सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और सरपंचों को और अधिक पॉवर देते हुए ग्रामीण विकास की भागेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!