हरियाणा में ई- टेंडरिंग के विरोध के बीच सरकार ने तैयार किया नया मसौदा, पढ़ें मुख्य बिंदु

चंडीगढ़ | हरियाणा में ई- टेंडरिंग के खिलाफ राज्य भर में चल रहे सरपंचों के विरोध के बीच हरियाणा सरकार ने इस नीति का मसौदा जारी किया है. विकास एवं पंचायत विभाग के अपर मुख्य सचिव अनिल मलिक ने दस दिन के मसौदे पर आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. मसौदे पर आ रही आपत्तियों और सुझावों के समाधान के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. आपत्तियों और सुझावों के निस्तारण के बाद ई-टेंडरिंग की अधिसूचना जारी की जाएगी.

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हरियाणा सरकार ने पंचायतों में दो लाख रुपये से अधिक के विकास कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए पंचायत विभाग की ओर से सभी पंचायत अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं. इधर, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने प्रदेश के चयनित सरपंचों से फीडबैक लेकर रिपोर्ट तैयार की थी और दो लाख की जगह पांच लाख रुपये की राशि देने का सुझाव दिया था. अब सरकार ने ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार की गई नीति का मसौदा जारी कर दिया है.

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मसौदे के प्रमुख बिंदु

  • ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति एवं जिला परिषदों में 2 लाख रुपये तक के कार्य मैन्युअल रूप से किये जा सकते हैं. इससे अधिक राशि के कार्यों के लिए ई-टेंडर करना होगा.
  • 25 लाख रुपए तक के विकास कार्यों की फाइलें चंडीगढ़ मुख्यालय नहीं आएंगी. स्थानीय स्तर पर दो से 25 लाख रुपए तक के कार्यों की स्वीकृति एसडीओ ही देंगे लेकिन इसमें संबंधित ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद की स्वीकृति अनिवार्य होगी.
  • 25 लाख से एक करोड़ रुपये तक के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति एक्सईएन स्तर से की जायेगी. जिला परिषद के सीईओ इसकी स्वीकृति देंगे.
  • एक करोड़ से ढाई करोड़ रुपये तक के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति अधीक्षण अभियंता देंगे. इन कामों की मंजूरी के लिए फाइल चंडीगढ़ आएगी. विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक इसे पास कराएंगे.
  • 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता या मुख्य अभियंता के स्तर पर होगी और प्रशासनिक सचिव द्वारा पारित की जाएगी.

हाई कोर्ट का ई-टेंडरिंग पर रोक लगाने से इनकार

हरियाणा में विकास कार्यों के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाने के सरकार के फैसले के खिलाफ एक दर्जन से अधिक पंचायतों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के वित्तीय आयुक्त व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है.

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कुरुक्षेत्र व अन्य जिलों की पंचायतों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि हरियाणा सरकार ने 19 जनवरी को दो लाख से अधिक के विकास कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग अपनाने का आदेश जारी किया है. सरकार के इस फैसले से पंचायत का कामकाज प्रभावित होगा. पहले सरपंच अपने स्तर से 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करा सकता था.

ई-टेंडर की प्रक्रिया लंबी होती है और टेंडर में ही एक साल बीत जाता है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की ई-टेंडरिंग प्रणाली 2015 में भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में भी शुरू की गई थी. हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने पर इसे वापस ले लिया गया. याचिका में सरपंचों का आरोप है कि सरकार ने हरियाणा पंचायती राज कानून, 1994 में कई संशोधन कर उनके अधिकारों में कटौती की है.

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सरपंच एसोसिएशन ने कही ये बात

रणबीर गिल ने कहा कि (प्रदेश अध्यक्ष, हरियाणा सरपंच एसोसिएशन) यह आंदोलन केवल सरपंचों तक ही सीमित नहीं है. देश को बचाने की लड़ाई में जनता एकजुट हो गई है. विधायकों के घरों के बाहर धरना जारी रहेगा. राज्य सरकार अधिकारियों पर दबाव बनाकर टेंडर निकलवा रही है. हमारा संघर्ष जारी रहेगा. गांवों के लोग विधायकों को विधानसभा भेजते हैं.

चंद्रमोहन पोटलिया (प्रदेश प्रवक्ता, हरियाणा सरपंच एसोसिएशन) ने कहा कि बेशक सरकार ने मसौदा जारी कर दिया है. अधिकारियों पर टेंडर निकालने का दबाव भी बनाया जा रहा है. हालांकि सरपंचों का विरोध जारी है. पूरे हरियाणा में प्रशिक्षण के दौरान 10 फीसदी सरपंच ही पहुंच रहे हैं. राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद जल्द ही अगला फैसला लिया जाएगा.

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