हरियाणा में विरोध कर रहे सरपंचों के लिए झटका, ई-टेंडरिंग पर हाईकोर्ट ने स्टे देने से किया इनकार

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार द्वारा गांव में विकास कार्यों में तेजी लाने व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-टेंडरिंग व्यवस्था जारी रहेगी. ई-टेंडरिंग व्यवस्था के विरुद्ध कुछ ग्राम पंचायतों द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया है.

HIGH COURT

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने माना है कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई यह व्यवस्था पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हाल ही में पंचायती राज संस्थाओं को और अधिक स्वायत्ता प्रदान करते हुए उनकी शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया है.

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अब पंचायती राज संस्थाएं अपने फंड व ग्रांट इन ऐड से छोटे या बड़े, चाहे जितनी भी राशि के काम हों, करवा सकती हैं. 2 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्य ई-टेंडर के माध्यम से होंगे, जिससे न केवल कार्यों में तेजी आएगी बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी.

सरपंचों ने कल किया था विरोध प्रदर्शन

सरकार द्वारा शुरू की गई ई-टेंडर पालिसी के विरोध में पिछले करीब तीन सप्ताह से सरपंच बुधवार को शहर की सड़कों पर उतरे. उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए सरकार के प्रति अपना रोष प्रकट किया. इसके बाद डीसी को अपनी मांगों संबंधी ज्ञापन सौंपा. सरपंचों ने कहा है कि यहां पर अब धरना जारी रहेगा।.

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ट्रेनिंग प्रोग्राम का सरपंच नहीं लेंगे हिस्सा

सरपंचों ने इस दौरान कहा है कि वह सरकार द्वारा सरपंचों के लिए जारी किए गए ट्रेनिंग प्रोग्राम का बहिष्कार करेंगे. ऐसा तब तक होगा जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती. हर हलके के विधायक के घर के सामने धरना दिया जाएगा, विधायकों को सरपंचों का समर्थन करने पर मजबूर किया जाएगा.

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सरपंचों की ये है मांगे

  • संविधान के 73वें संशोधन की 11वीं सूची में पंचायतों के लिए निहित सभी 29 अधिकार बहाल किए जाएं.
  • राइट-टू-रिकाल विधायक व सांसद पर भी लागू हो.
  • ई-टेंडरिंग को पूर्ण रूप से बंद किया जाए.
  • फैमिली आईडी बंद की जाए.
  • मनरेगा की मजदूरी 600 रुपये प्रतिदिन की जाए.
  • सरपंच का मासिक वेतन 30 हजार रुपये तथा पंच का 5 हजार रुपये निर्धारित हो.
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