पानीपत | हरियाणा की पहचान देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने खिलाड़ियों के कारण है. यहां के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं. यहां के खिलाड़ी कई बार अपनी प्रतिभा साबित कर चुके हैं लेकिन कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो प्रतिभावान होने के बावजूद गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण पिछड़ रहे हैं.
गरीबी के कारण उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर नहीं मिल पाता है. ऐसी ही कहानी पानीपत के सोहन की है जो राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल समेत करीब 35 मेडल जीत चुका है लेकिन गरीबी के कारण वह सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है.
2015 में सोहन को सरकार ने दी आर्थिक सहायता
एकता कॉलोनी पानीपत निवासी सोहन नेशनल थ्रो बॉल प्लेयर है. जूनियर नेशनल में सोहन ने भी अपनी टीम को जिताकर गोल्ड मेडल जीता है. इस खिलाड़ी ने राज्य स्तर पर कई मेडल जीते हैं लेकिन आज तक सरकार द्वारा इस युवक को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई. 2015 में सोहन को सरकार ने आर्थिक सहायता दी थी लेकिन आज वह उपेक्षा और गरीबी के कारण दिन-रात काम कर रहा है.
सोहन रात में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता है. अपनी कमाई से ही वह पढ़ाई, खेल और परिवार का खर्चा चला पा रहा है. इस दौरान पानीपत के थ्रो बॉल खिलाड़ी सोहन को भी कई बार उनके कोच ने आर्थिक मदद की है. 2019 में चार बहन- भाइयों में तीसरे नंबर पर आने वाले सोहन पिता के निधन के बाद खेलकूद और पढ़ाई से दूर हो गए थे.
35 मेडल जीत चुके सोहन गरीबी से जूझ रहे
अब सोहन ने एक बार फिर अपना करियर बनाने के लिए खेलना शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल समेत 35 मेडल जीत चुके सोहन गरीबी से जूझ रहे हैं. सोहन रात में एक सुरक्षा गार्ड, दिन में एक छात्र और शाम को एक खिलाड़ी के रूप में दिखाई देता है. सरकार की उपेक्षा के कारण यह खिलाड़ी जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों मेडल और प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद भी दर- दर भटक रहा है. सोहन ने स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी के लिए कई बार प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली.
सोहन का लक्ष्य
सोहन की मां का कहना है कि वह मेहनत-मजदूरी करके सोहन की पढ़ाई और खेल-कूद का खर्च निकालती थी. इस बात पर सोहन का ध्यान नहीं गया और वह खुद सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने लगा. परिवार के साथ किराए पर रहने वाले सोहन का कहना है कि उनका सपना बड़े स्तर का खिलाड़ी बनने का है लेकिन गरीबी और संसाधनों की कमी से उनका संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है. कई बार कोशिश करने के बाद भी उन्हें न तो नौकरी मिली और न ही राज्य सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद दी गई. सोहन का लक्ष्य अपने माता- पिता के सपनों को पूरा करना है.
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