बढ़ती गर्मी का गेहूं की फसल पर दिखने लगा असर, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी ये सलाह

करनाल | हरियाणा में समय से पहले बढ़ती गर्मी का गेहूं की फसल पर साफ असर देखने को मिल रहा है. इससे किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें उभर आई है. बता दें कि इस बार सर्दी और पाले का प्रभाव ज्यादा समय तक नहीं रहा इसलिए बढ़ता पारा फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है.

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हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सप्ताह में तापमान में गिरावट दर्ज होने की उम्मीद बनी हुई है जिससे 25 मार्च तक मौसम गेहूं की फसल के अनुकूल रहेगा. ऐसे में फसल उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद लगाई जा सकती है.

किसानों का कहना है कि समय से पहले गर्मी सताने लगी है. यदि अब बारिश हो जाती तो इसका प्रभाव उतना अधिक नहीं रहता. अगर बारिश नहीं हुई तो इसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा. फसल में जब सिंचाई की जाएगी तो तेज हवा के कारण गेहूं के ढहने का खतरा बना रहेगा.

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पिछली बार भी झेली थी मार

बता दें कि पिछली बार भी समय से पहले बढ़े तापमान ने गेहूं की फसल के उत्पादन को बुरी तरह से प्रभावित किया था. ज्यादा गर्मी से गेहूं का दाना सिकुड़ गया और पैदावार पर इसका असर देखने को मिला था. ऐसे में किसानों का कहना है कि फिर से यही हालात रहे तो नुकसान ही झेलना पड़ेगा. वहीं, कुछ किसानों ने बताया कि सिंचाई करते समय हवा का बहाव कैसा है, उसी को ध्यान में रखते हुए सिंचाई करें ताकि फसल गिरने की संभावना कम हो सकें.

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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले एक सप्ताह में तापमान में गिरावट दर्ज होगी और फिर 25 मार्च तक मौसम गेहूं की फसल के अनुकूल बना रहेगा. गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल ने 112 मिलियन टन के गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया था और वर्तमान स्थिति के अनुसार इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. फिलहाल, गेहूं की फसल में किसी तरह की बीमारी नहीं है और ग्रोथ भी अच्छी बनी हुई है जिससे उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं.

ये किस्में मौसम की मार झेलने में सक्षम

राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ संस्थान के डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि DBW187, DBW 303 व DBW 836 तीनों नई किस्में मौसम से लड़ने में सक्षम है. देश में 40 से 45 प्रतिशत तक रकबा जलवायु अनुकूल प्रजातियों के अंतर्गत है. पिछले साल कुछ किसानों ने अंतिम समय पर गेहूं की सिंचाई रोक दी थी जबकि ऊपर से गर्मी पड़ रही थी. ऐसे में पौधे को नमी नहीं मिली और वह सूख गया, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ था.

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इस बार वैज्ञानिक हर मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं और किसानों को जागरूक कर रहे हैं. जैसे ही तापमान में परिवर्तन होता है तो अनुसंधान केंद्र की ओर से एडवाइजरी जारी कर दी जाएगी ताकि किसान उसी के अनुसार सिंचाई करें.

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