आडू की खेती से चर्चाओं में आया हरियाणा का किसान धर्मवीर, मिठास के दीवाने हुए लोग

फतेहाबाद | आधुनिकता के इस युग में देशभर में किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी खेती की ओर बढ़ रहे हैं और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर बंपर पैदावार भी ले रहे हैं. बागवानी खेती में कम लागत से अधिक मुनाफा तो मिलता ही है. साथ ही, पानी की बचत भी होती है. इसी कड़ी में हरियाणा के एक किसान ने बागवानी खेती अपनाकर अन्य किसानों के सामने उदाहरण पेश किया है.

Dharamveer Adu ka Ped

लॉ ग्रेजुएट हैं किसान

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव धांगड़ निवासी किसान धर्मवीर ने लॉ ग्रेजुएट की पढ़ाई की है. उन्होंने आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने खेत में आडू का बाग लगाकर बागवानी खेती की शुरुआत की. आज धर्मवीर के आडू की मिठास लोगों को इतनी पसंद आ रही है कि वो फसल आने का इंतजार करते हैं.

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केमिकल रहित खेती

खास बात यह है कि धर्मवीर अपने आडू के बाग में किसी भी तरह के रासायनिक खाद और उर्वरक का इस्तेमाल नहीं करते हैं. आज उनके बाग की चर्चा फतेहाबाद ही नहीं बल्कि देश- विदेश तक हो रही है. धर्मवीर ने बताया कि जब उन्होंने बाग लगाया तो सरकार की तरफ से भी आर्थिक सहायता दी गई थी. सरकार की ओर से पौधों के रखरखाव, सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन और पानी के टैंक के लिए 100% सब्सिडी दी गई थी.

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किसान धर्मवीर ने बताया कि वह अपने बाग में आडू की खेती तक ही सीमित नहीं है बल्कि उन फसलों की खेती करने की कोशिश कर रहे हैं जो इन पौधों के नीचे कम पानी में आराम से मिल सकें. उन्होंने बताया कि ट्रायल के तौर पर हल्दी लगाई है. यदि इसमें उन्हें सफलता हासिल होती है तो वे एक साथ दो आर्गेनिक फसलों को ले सकेंगे और डबल आमदनी हासिल कर सकते हैं.

धर्मवीर ने कहा कि अगर सरकार उनके प्रोडेक्ट को बेचने के लिए डायरेक्टर सेलिंग का प्लेटफार्म मुहैया करवा दे तो आमदनी में और अधिक इजाफा हो सकता है. उन्होंने किसानों के लिए एक मैसेज भी दिया कि किसान अधिक पानी वाली फसलों का मोह त्याग कर इस प्रकार की फसलों पर अपना ध्यान दे तो वह कम लागत में और लंबे समय तक मुनाफा ले सकते हैं.

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जिला बागवानी अधिकारी श्रवण ने बताया कि किसानों को परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी खेती की ओर बढ़ना चाहिए. फलों और सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही है, जिसमें किसानों को 50 से 100 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है.

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