हरियाणा में ई- टेंडरिंग विवाद को लेकर शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान, यहाँ पढ़े क्या कहा

चंडीगढ़ | हरियाणा में ई- टेंडरिंग प्रक्रिया पर सरपंचों के चल रहे आंदोलन पर प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने दो टूक कहा है कि सरपंचों के दबाव में सरकार नहीं आएगी. पत्रकारों ने उनसे स्पष्ट पूछा था कि क्या सरकार दबाव में आएगी. कंवर पाल ने कहा, ‘सरकार दबाव में नहीं आएगी बिल्कुल भी लेकिन बातचीत के रास्ते खुले रहेंगे. सरपंचों की तरफ से ई- टेंडरिंग के विरोध करने पर कंवर पाल ने कहा, ‘पंचायतों में जो ई-टेंडरिंग है, मैंने अपने हलके में एक मीटिंग की थी सरपंचों की.

KanwarPal Gurjar Education Minister

मैंने अपनी बात रखने के बाद उन्हें कहा था कि किसी का भी कोई प्रश्न हो तो मुझसे पूछ सकता है. आपको क्या प्रॉब्लम है, मुझे बता दें. एक आदमी ने भी मेरे से प्रश्न नहीं पूछा अब भी मैं तैयार हूं.

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ई टेंडर सरपंचों के हक की चीज: कंवर

अगर सरपंच मिल बैठकर बात करना चाहते हैं तो मुझे ई- टेंडरिंग के नुकसान बता दें क्या हैं. ई- टेंडरिंग 100 परसेंट सरपंच के हक की चीज है, खिलाफ नहीं है सरपंच के. अभी तक क्या होता था. जैसे सरपंच बनता था तो वह काम कराता था. वह (सरपंच) टेक्नीकल विशेषज्ञ नहीं है. उस बेचारे (सरपंच) ने काम करा दिया, उसने टाइम भी लगा दिया, सारा काम भी किया, सारा कुछ किया लेकिन काम में अगर कोई भी खामी रह गई तो जिम्मेवार कौन है, सरपंच आपने ऐसे भी सरपंच देखे होंगे कि उसने टर्म पूरी कर ली मगर उसके बाद 4- 5 साल मुकदमें भुगते रहे बेचारे.

सरपंचों को किस बात की चिंता: कंवर

हमारा मानना है कि जो आदमी उसका जानकार है, वही जिम्मेवार होना चाहिए. हमने ई-टेंडरिंग में किया कि सरपंच ही योजना बनाएगा कि कौनसी गली बनेगी, कौन सी नाली बनेगी, कौन सा कम्युनिटी सेंटर बनेगा, उसका निर्णय सरपंच लेगा. उसकी देखभाल सरपंच करेगा.

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अगर जांच होगी तो ठेकेदार की होगी, अगर जांच होगी तो जेई की होगी, अगर जांच होगी तो एसडीओ की होगी, अगर जांच होगी तो सचिव की होगी. उस (सरपंच) की कोई जिम्मेवारी नहीं है.

स्वार्थ की वजह से भड़का रहे: कंवर

उसे गांव वालों ने देखने के लिए चुना है कि इसकी देखरेख में विकास होगा. वह स्वयं नहीं करेगा. इसके लिए गांव वालों ने नहीं चुना. अब ये (सरपंच) उलटी बात कह रहे हैं. इसमें तो सरपंच का बचाव हुआ है. कुछ लोग अपने स्वार्थों के कारण लोगों को भड़काना शुरू कर देते हैं. एक ग्रुप को देखकर दूसरे ग्रुप के लोग भी उनके साथ खड़े होना शुरू हो जाते हैं.

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वे यह भी नहीं देखते कि इसके क्या नुकसान है, क्या फायदे हैं.कई बार आदमी अपनी बात कहकर जिद्द पर भी अड़ जाता है. अब तक मुझे एक भी सरपंच ऐसा नहीं मिल जिसने यह बताया हो कि ई- टेंडरिं‍ग का यह नुकसान है.

विधायकों ने राशि बढ़ाने की मांग की है: कंवर पाल

स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि विधानसभा में भी विधायकों ने ई- टेंडरिंग का विरोध नहीं किया था बल्कि राशि बढ़ाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस या इनेलो के पास कोई तर्क है तो विधानसभा में बताएं.

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