दसवीं व बारहवीं कक्षा के छात्रों को याद करने होंगे सिर्फ़ सौ प्रश्न, बोर्ड ने दिया पास होने का सुनहरा मौका

नई दिल्ली | शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की सिफारिश को अगर मान लिया जाता है, तो कोरोना महामारी के इस संकट बीच ही दसवीं व बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे छात्रों को एक बड़ी राहत मिल सकती है. स्थायी समिति की सिफारिश के बाद इन छात्रों को सुनहरा मौका मिल सकता है.

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जारी किया जाएगा क्वेश्चन बैंक

समिति की ओर से अपने बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि छात्रों को सौ सवालों का एक क्वैश्चन यानी प्रश्न बैंक जल्द ही उपलब्ध कराने की सिफारिश उनकी ओर से गई है और सांझा किए गए क्वेश्चन बैंक से ही परीक्षा में सारे सवाल पूछे जा सकते हैं. ऐसे में परीक्षा पास करने के लिए केवल इन्हीं 100 सवालों को सभी विद्यार्थियों को अच्छे से तैयार करना होगा. दिए गए इन्हीं सौ सवालों में से कुछ भी परीक्षा में पूछा जा सकता हैं, किन्तु बाहर से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा. ऐसे में शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की बैठक बीते मंगलवार व बुधवार के दिन आयोजित की गई यानी यह मीटिंग कुल दो दिनों तक चली है.

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भाजपा सांसद डाक्टर विनय सहत्रबुद्धे की अगुआई में हुई इस बैठक में बोर्ड परीक्षाओं, स्कूलों के खुलने व नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत पुस्तकों को तैयार करने के मुख्य बिंदुओं पर विस्तार रूप से चर्चा की गई है. इस प्रमुख चर्चा में विशेष रुप से नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने के तरीकों पर भी विचार किया गया है. कोरोना संकट महामारी में जब स्कूल पूरे समय तक बंद थे, ऐसे में होने जा रहीं इस दसवीं 12 वीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए पूर्ण रूप से विचार किया जा रहा है. सभी छात्रों को परीक्षाओं के लिए बेहतर से बेहतर स्थिति देने की कोशिश की जा रही है.

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केवल तैयार करने होंगे सौ प्रश्न

इस बीच समिति की ओर से बोर्ड को एक बार फिर से सिफारिश की गई कि कोरोना काल यानी महामारी की वजह से काफी बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करने में दिक्कत का सामना करना पड़ा है. इस वजह से अगर क्वेश्चन बैंक को बच्चों के बीच साझा किया जाता है, तो वह केवल उन्हीं सौ प्रश्नों को तैयार कर परीक्षा में पास हो सकते हैं.

स्कूल खोलने के प्रस्ताव की हुई सराहना

वहीं दूसरी ओर समिति ने बोर्ड के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि स्कूल खोलने की प्रक्रिया को भी जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए. जिससे विद्यार्थी बचे हुए थोड़े समय में स्कूल के शिक्षकों से मिले और बातचीत कर उन सवालों को हल कर सके हैं, जिन्हें हल करने के लिए उन्हें इतने समय से कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. समिति के इस विचार को काफी राज्य द्वारा सरहना भी हासिल हुई है.

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नई किताबों में नहीं शामिल हो पाएंगे तथ्यात्मक गलतियां

हालांकि, अभी शिक्षा मंत्री वह साफ तौर पर कहा गया है कि सीबीएसई बोर्ड की दसवीं व बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को इस वर्ष मई माह की 4 तारीख से आयोजित किया जा सकता है. संसदीय समिति के साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तैयार की जा रही पुस्तकों के तथ्यों को भी परखा जा सकता है. साथ ही साथ एनसीईआरटी किताबों मे मौजूद त्रुटियों व गलत तथ्यों को भी ठीक करने की सिफारिश की गई है.

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