करनाल | आधुनिकता के इस युग में किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होने से किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. खास बात यह है कि महिलाएं भी खेती में खासी रुचि लेने लगी है. ऐसी ही एक महिला करनाल जिले के गांव समाना बहू की पूनम चीमा है जिन्होंने 2 एकड़ जमीन पर ड्रेगन फ्रूट की खेती शुरू की थी. उनके पति भी इस काम में उनका पूरा सहयोग करते हैं.
ऐसे हुई शुरुआत
पूनम ने बताया कि उनके पति कर्नल एसपीएस चीमा तीस साल तक सेना में नौकरी कर घर लौटे थे. पहले वो कुरुक्षेत्र में किचन गार्डन में बिजी रहती थी लेकिन खेती से लगाव गांव की ओर खींच ले आया क्योंकि वहां पुश्तैनी जमीन थी. गांव आकर ऑर्गेनिक खेती पर रिसर्च किया और करीब तीन साल की रिसर्च के बाद उन्होंने ड्रेगन फ्रूट की खेती करने का मन बनाया.
पूनम ने बताया कि ड्रेगन फ्रूट की खेती करने से पहले उन्होंने देश के बड़े ड्रेगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों से मुलाकात की और इस संबंध में तमाम जानकारियां बारीकी से हासिल की. इसके बाद उन्होंने 2 एकड़ में ड्रेगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वो हरियाणा की अकेली ऐसी किसान है जिन्होंने सीधे 2 एकड़ जमीन पर ड्रेगन फ्रूट की खेती करना शुरू किया है.
प्रति एकड़ 8 लाख रुपए खर्चा
पूनम ने बताया कि ड्रेगन फ्रूट की खेती पर प्रति एकड़ करीब आठ लाख रुपए खर्च हुआ है. कटाई- छंटाई, निराई- गुड़ाई से लेकर सारा काम वो खुद ही संभालती है. उन्होंने अपनी ड्रेगन फ्रूट की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की है जबकि हरियाणा में बाकी जगह ड्रेगन फ्रूट की खेती में रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. अपनी ड्रेगन फ्रूट की खेती में पूनम ने ड्रिप इरिगेशन सिंचाई व्यवस्था की है ताकि पानी की बचत हो सकें.
उन्होंने बताया कि आज महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं है. यदि महिलाएं किसी एक क्षेत्र में पूरी लगन से काम करें तो सफलता हासिल करना मुश्किल काम नहीं है. पूनम ने बताया कि ड्रेगन फ्रूट को सुपरफूड कहा जाता है और इसका भाव 80 से लेकर 150 रुपए तक होता है. ऐसे में आने वाले समय में ड्रेगन फ्रूट की खेती को हरियाणा का भविष्य कहां जा सकता है.
कैसे होती है ड्रेगन फ्रूट की खेती
पूनम ने बताया कि दो एकड़ जमीन पर ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए उन्होंने 1060 सीमेंट के पिलर लगाएं है. पिलर से पिलर की दूरी 7 फीट जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट रखी गई है. उन्होंने बताया कि इस खेती के लिए शुरुआत में एक बार ही पैसा खर्च करना पड़ता है और उसके बाद 25 सालों तक आमदनी ही आमदनी होती है. अपने खेत में पूनम ने ड्रेगन फ्रूट की तीन किस्में एक आंध्रप्रदेश से जबकि दूसरी करनाल से तो वही तीसरी अमेरिकन ब्यूटी लगाई है. इन सभी का वजन 300-400 ग्राम होता है और एक पिलर से 12 किलोग्राम तक फल मिलता है.
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