बड़ी अपडेट: अभय चौटाला ने दिया इस्तीफा, फिर ट्रैक्टर यात्रा पर निकले

चंडीगढ़ | केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के प्रति रोष प्रकट करते हुए ई -मेल के द्वारा भेजा गया सशर्त इस्तीफा खारिज होने के बाद अब इनेलो विधायक अभय सिंह जी चौटाला ने अब संशोधित त्यागपत्र विधान सभा को भेज दिया है. ऐसे में आज यानी शुक्रवार की सुबह को पार्टी पदाधिकारियों ने विधान सभा सचिवालय में पहुंच कर सशर्त इस्तीफा सौंप दिया है. इसके पश्चात अभय सिंह जी चौटाला अपने ट्रैक्टर पर सवार हो कर अंबाला से निकलने वाली ट्रैक्टर यात्रा के लिए कूच कर गए हैं.

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इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर ट्रैक्टर पर सवार हो कर विधान सभा की ओर करेंगे रुख

ऐसे में इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने साफ़ तौर पर कहा है कि एसवाइएल (SYL) को लेकर हुए आंदोलन के समय पर भी चौधरी देवीलाल और डा. मंगल सेन ने इसी तर्ज पर विधान सभा से इस्तीफे स्पीकर को भेजे थे. उस समय पर उन्हें स्वीकार कर लिया गया था. ऐसे में इस मामले के बाद मौजूदा स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करने में क्या हर्ज है. उन्होंने एक बार फिर से अपनी बात रखते हुए कहा है कि इस्तीफा मंजूर नहीं होने की स्थिति में वह जनवरी माह की 27 तारीख़ को ट्रैक्टर पर सवार हो कर विधान सभा जाएंगे और फ़िर वहां स्पीकर से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे.

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चौटाला चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन का हुआ इस्तीफे में जिक्र

साथ ही साथ, विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता जी ने अपना पक्ष रखते हुए और पलटवार करते हुए कहा है कि चौटाला चौधरी देवीलाल और डा. मंगलसेन के जिस इस्तीफे की बात कर रहे हैं, वह डेट बाउंड नहीं थे. अब अभय चौटाला ने अपने इस्तीफे में जनवरी माह की 26 तारीख़ तक कृषि कानून को पूरी तरह से ख़तम होने की शर्त रखी है. उनका कहना है कि वह अब कानूनी विशेषज्ञों से इस मामले पर गहनता से विचार विमर्श कर रहे हैं और उसके बाद ही वह किसी भी प्रकार का निर्णय लेंगे. वह जनवरी माह की 27 तारीख़ को अभय के विधानसभा आने की प्रतीक्षा करेंगे.

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जानें, क्या लिखा है इस्तीफे में

अभय सिंह चौटाला ने अपने इस्तीफे में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि लागू किए गए नए तीन कृषि कानूनों को रद कराने के लिए किसान दिल्ली की बॉर्डर पर लगभग बीते 50 दिन से बैठे हैं. ऐसे में सर्दी व बारिश के कारण कुल 70 से भी ज्यादा किसानों ने शहादत दे दी है, किन्तु सरकार बार- बार किसानों के साथ बैठकें कर इस मामले को गोल- गोल घुमा रही है और इससे केवल किसानो का समय ही सरकार बर्बाद कर रही है. वहीं दूसरी ओर, किसी भी काम की बात के लिए सरकार ने चुप्पी साधी हुई है. ऐसे में अब यदि केंद्र द्वारा जनवरी की 26 तारीख़ तक किसानों की मांगें नहीं मानी जाती है तो फिर एक दिन बाद ही यानी 27 जनवरी को मेरा एलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाना चाहिए.

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