चंडीगढ़ | रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) और पहलवानों के विवाद में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा की फिर एंट्री हो गई है. सांसद ने राज्यसभा सभापति को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने खिलाड़ियों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के पदाधिकारियों पर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है. इससे पहले डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह सांसद हुड्डा को इस धरने का मास्टरमाइंड बता चुके हैं. अब इस चिट्ठी को लेकर मुद्दा फिर गरमा गया है.
पत्र में लिखी ये बात
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से देश के खिलाड़ियों विशेषकर महिला खिलाड़ियों के सम्मान और सम्मान से जुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा सदन के सामने रखना चाहता हूं. कई बार देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाडिय़ों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
आरोपों की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि वह खेल और खिलाडिय़ों के मान- सम्मान को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए और उन्हें न्याय दिलाए. ये खिलाड़ी किसी जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के नहीं बल्कि देश के हैं.
देश की विरासत, देश की शान, हमारे खिलाडिय़ों को, हमारे पहलवानों को, जिन्होंने लगातार भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है, इंसाफ की गुहार लगाते हुए, धरने पर बैठना पड़ा, जो बहुत दुख और चिंता का विषय है. इस तरह की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के मनोबल को गिराने का काम करती हैं.
पहले पढ़िए क्या है पूरा मामला…
पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना शुरू किया. इस दौरान विनेश फोगाट रो पड़ीं और आरोप लगाया कि फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कोच ने नेशनल कैंप में महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया. विनेश ने यह भी कहा कि बृजभूषण खिलाड़ियों के होटल में ठहरते थे, जो नियमों के खिलाफ है. टोक्यो ओलिंपिक में हार के बाद डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने मुझे नकली सिक्का कहा था.
आरोप सच हुए तो मुझे फांसी पर लटका दिया जाए : सांसद
उसी दिन संघ अध्यक्ष बृजभूषण सामने आ गए और कहा- किसी तरह का कोई उत्पीड़न नहीं हुआ है. अगर ऐसा हुआ है तो मैं फांसी लगा लूंगा. उन्होंने धरने को प्रायोजित बताते हुए इसके पीछे हरियाणा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को बताया. उन्होंने कहा था कि अब ये खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने के योग्य नहीं हैं.
निरीक्षण समिति का किया गठन
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने 20 जनवरी को नई दिल्ली में अपने सरकारी आवास पर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के साथ बैठक की. देर रात तक चली इस बैठक के बाद अनुराग ठाकुर पहलवानों के साथ मीडिया के सामने आए और कहा कि खेल मंत्रालय पूरे विवाद की जांच के लिए एक कमेटी बनाएगा, जो 4 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी. समिति की जांच पूरी होने तक बृजभूषण सिंह डब्ल्यूएफआई का काम नहीं देखेंगे.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन 23 जनवरी को अनुराग ठाकुर ने पांच सदस्यीय निगरानी समिति के गठन की जानकारी देते हुए इसके सदस्यों के नामों की घोषणा की. समिति की अध्यक्षता विश्व चैंपियन मुक्केबाज मैरी कॉम कर रही थीं जबकि इसके सदस्यों में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त, द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता तृप्ति मुर्गंडे, टॉप्स के सीईओ राजगोपालन और राधा श्रीमन शामिल हैं. अब पहलवानों ने खेल मंत्रालय की इस निगरानी समिति के गठन को लेकर कोई चर्चा नहीं होने पर सवाल खड़ा किया है.
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