नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022- 23 के लिए PF खाते में जमा पर ब्याज दर 0.05% बढ़ाकर 8.10% से 8.15% कर दी है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने मंगलवार को अपना कार्यालय आदेश जारी किया. वित्त वर्ष 2021- 22 के लिए सरकार ने पीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.10 फीसदी कर दी थी जो 43 साल में सबसे निचला स्तर था. बता दें कि देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारी पीएफ के दायरे में आते हैं.
अब PF पर इतना मिलेगा ब्याज
ईपीएफओ एक्ट के तहत, कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 फीसदी पीएफ अकाउंट में जाता है तो वहीं कंपनी कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 फीसदी योगदान भी देती है. कंपनी के 12% योगदान में से 3.67% पीएफ खाते में जाता है और शेष 8.33% पेंशन योजना में जाता है. एक ही कर्मचारी के योगदान का सारा पैसा पीएफ खाते में जाता है.
ऐसे में मान लीजिए कि 31 मार्च, 2023 (वित्तीय वर्ष 2023-24 का ओपनिंग बैलेंस) तक आपके पीएफ खाते में कुल 5 लाख रुपये जमा हैं. ऐसे में अगर आपको 8.10 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है तो आपको 5 लाख पर 40,500 रुपये ब्याज के रूप में मिलते हैं लेकिन अब ब्याज दर बढ़ाकर 8.15 फीसदी करने पर आपको 40,750 रुपये का ब्याज मिलेगा.
1952 में इतनी थी ब्याज दर
1952 में पीएफ पर ब्याज दर महज 3 फीसदी थी. हालांकि, इसके बाद यह बढ़ता ही गया. 1972 में पहली बार यह 6% से ऊपर पहुंचा था. 1984 में यह पहली बार 10% से ऊपर पहुंचा. पीएफ धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था. इस दौरान पीएफ पर 12 फीसदी ब्याज मिलता था. इसके बाद, ब्याज दर घटने लगी. 1999 के बाद से ब्याज दरें कभी भी 10% के करीब नहीं रही हैं. यह 2001 से 9.50% से नीचे बनी हुई है. यह पिछले सात वर्षों से 8.50% या उससे कम है.
ब्याज दर ऐसे होती है तय
पीएफ में ब्याज दर तय करने के लिए फाइनेंस इंवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी की पहली बैठक हुई है. यह इस वित्तीय वर्ष में संचित धन का लेखा-जोखा देता है. इसके बाद, सीबीटी की बैठक होती है. सीबीटी के फैसले के बाद वित्त मंत्रालय की सहमति के बाद ब्याज दर लागू होती है. ब्याज दर वित्तीय वर्ष के अंत में तय की जाती है.
1952- 53 में अब तक PF की ब्याज दरें
साल |
ब्याज दर (% में) |
1952-66 | 3-4.75% |
1967-75 | 5-7% |
1976-83 | 7.50-8.75% |
1984-89 | 9.25-11.80% |
1990-99 | 12% |
2000-01 | 11% |
2001-05 | 9.50% |
2006-10 | 8.50-9.50% |
2011-21 | 8.25-8.50% |
2021-22 | 8.10% |
2022-23 | 8.15% |