फतेहाबाद: गोलगप्पे की रेहड़ी पर 16 साल की अनीशा करती है मदद, पीछे का कारण सुनकर आंखों में भर आएंगे आंसू

फतेहाबाद | हरियाणा के फतेहाबाद के टोहाना शहर के भाटिया नगर की रहने वाली 16 वर्षीय अनीशा देर शाम गोलगप्पे की रेहड़ी पर अपने पिता की मदद कर रही है. अनीशा के मुताबिक, अपने पिता के इलाज पर ज्यादा खर्च के कारण परेशान होते देख उन्होंने मदद करना शुरू कर दिया है. अनीशा की एक किडनी नहीं होने के कारण उसका इलाज भी चंडीगढ़ पीजीआई से चल रहा है. अनीशा के परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि उसका इलाज हो सके.

Golgappa

अनीशा के पिता ओमप्रकाश ने बताया कि वह भाटिया नगर का रहने वाला है. उनकी दो बेटियां और एक लड़का है. अनीशा बालिका विद्यालय में ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती है. करीब 4 साल पहले अनीशा के पेट में दर्द हुआ तो वह उसे अस्पताल ले गया, जहां इलाज कराने पर पता चला कि अनीशा की किडनी नहीं है जिससे वह परेशान रहती थी. बेटी की परेशानी बढ़ती देख वह इलाज के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ समेत कई जगह गए लेकिन हर जगह से जवाब मिलते रहे.

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एक महीने में करीब 20 हजार होता है खर्च

ओमप्रकाश ने बताया कि उनकी बेटी का चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज चल रहा है, जहां एक महीने में करीब बीस हजार रुपये का खर्च आता है. वह सुबह पांच बजे सब्जी मंडी से सब्जी लाता है. इसके बाद, दो बजे सब्जी बेचता है. जब घर में गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने शाम को गोलगप्पे की रेहड़ी लगने का फैसला किया, जिसमें उनकी पत्नी, दोनों बेटियां और बेटा भी मदद करते हैं. उनकी बेटी अनीशा बाजार में गोलगप्पे बेचने में मदद करती है, जिससे उन्हें गर्व महसूस होता है कि मेरी बेटी कंधे से कंधा मिलाकर मेरा साथ दे रही है.

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पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली से भी मिली थी मदद

एक बार पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली से मदद मिली, जिससे अपनी बेटी का इलाज करवाया. कहाना ही की एक बार अगर सरकार जल्द ही चंडीगढ़ पीजीआई में उनकी बेटी का ऑपरेशन करवा दे तो बेटी भी सामान्य जीवन जी सकती है. उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ पीजीआई वाले लगातार उनके चक्कर लगा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है और उनकी बेटी भी संकट में है.

सीए बनना चाहती हैं अनीशा

अनीशा ने बताया कि वह सीए बनना चाहती है. उसने बताया कि उसकी बड़ी बहन चौथी कक्षा पास है और भाई चौथी कक्षा में पढ़ता है और मां दर्जी का काम करती है. राजकीय कन्या विद्यालय में पढ़ते हुए उसने 10वीं कक्षा में 71 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. अब वह बड़ी होकर सीए बनना चाहती है ताकि अपने माता- पिता का नाम रोशन कर सके. यह कहते हुए अनीशा की आंखों से आंसू छलक पड़े.

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सरकार अपनी बेटी की तरह समझे : अनीशा

अनीशा ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान की शुरुआत हरियाणा के पानीपत से की थी लेकिन सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है क्योंकि वह भी एक बेटी हैं. उसने कहा कि सरकार उसे अपनी बेटी की तरह समझे और इलाज में सहयोग करे क्योंकि उसके पिता पूरी तरह से परेशान हैं.

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