गुरुग्राम | यदि सही दिशा में जोश और जुनून के साथ काम किया जाए तो कामयाबी हासिल करना कोई मुश्किल नहीं है. इंसान को लगातार प्रयास करते रहना चाहिए और यदि असफलता भी हाथ लगें तो अपनी मंजिल से पीछे हटने की बजाय और अधिक मेहनत करनी चाहिए. दोगुनी मेहनत से किए गए प्रयासों से ही इंसान इतिहास कायम कर दूसरे लोगों के लिए मिसाल कायम करते हैं.
ये विचार है देश में गन्ना क्रांति के जनक के साथ ही शुगर केन मैन के रूप में पहचान बनाने वाले वैज्ञानिक डॉ. बख्शी राम, जिन्हें गन्ना किसानों के जीवन में नई उर्जा का संचार करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म श्री सम्मान प्रदान किया है.
नई किस्म ने बढ़ाया किसानों का हौसला
गुरुग्राम जिले के गांव सिधरावली के रहने वाले डॉ. बख्शी राम ने साल 2009 में गन्ना की नई किस्म CO- 0238 विकसित की थी. इस किस्म के विकसित होने के बाद गन्ना किसानों में नई उर्जा का संचार हुआ. उत्पादन में 20 टन प्रति हेक्टेयर तक की बढ़ोतरी हो गई थी.
इस नई किस्म का लाभ हरियाणा ही नहीं बल्कि यूपी, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब सहित कई अन्य राज्यों के किसानों ने उठाया है. वह देश के सबसे पुराने गन्ना संस्थान आइसीएआर गन्ना प्रजनन, कोयम्बतूर और यूपी गन्ना अनुसंधान परिषद, शाहजहांपुर के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. दुनिया उन्हें गन्ना ब्रीडर के रूप में जानती है.
गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के अध्यक्ष डॉ. एसके पांडेय ने बताया था कि डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में करीब 24 सालों तक कार्य किया है. वह बतौर वैज्ञानिक यहां आए थे, फिर वरिष्ठ वैज्ञानिक बने और फिर प्रधान वैज्ञानिक.
इसके बाद, वह अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बने. उनकी अगुवाई वाली टीम ने गन्ने की कई प्रजातियां देश को दी, जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया. CO- 0238 इन सभी प्रजातियों में ऐसी प्रजाति है जो उत्तर भारत में अधिकांश किसानों तक पहुंची. डॉ. बख्शी को पद्मश्री मिलने की खबर से करनाल केंद्र में खुशी की लहर है और उनके साथ कार्य कर चुके वैज्ञानिकों को भी गर्व की अनुभूति हो रही है.
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