चंडीगढ़ | हरियाणा में रबी सीजन समाप्ति की ओर है. इसके बाद, खरीफ फसलों की बुआई शुरू हो जाएगी. खरीफ फसलों में मुख्य रूप से कपास और धान की खेती पर जोर रहता है. प्रदेश के बहुत से क्षेत्रों में भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है और धान की खेती में अत्यधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में खट्टर सरकार ने कम पानी में धान की खेती को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है.
DSR तकनीक से बुआई पर मिलेगी सब्सिडी
हरियाणा सरकार ने धान की सीधी बुआई यानि DSR तकनीक से बिजाई करने वाले किसानों के लिए 4,000 रूपए प्रति एकड़ सब्सिडी देने की घोषणा की है. इस सब्सिडी से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए ‘मेरा पानी- मेरी विरासत’ पोर्टल या अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय में जाकर सम्पर्क कर सकते हैं.
DSR तकनीक से फ़ायदे
धान की परंपरागत बिजाई की तुलना में DSR में कम पानी खर्च होता हैं और साथ ही ईंधन, समय और खेती की लागत के नजरिए से भी डीएसआर फायदेमंद है. डीएसआर तकनीक पानी के किफायती उपयोग तथा मिट्टी का समुचित ध्यान रखने की प्रेरणा देती है. जीवाश्म ईंधन जैसे डीजल, पेट्रोल का अधिक उपयोग पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. डीएसआर में ऐसे ईंधन का उपयोग परंपरागत बिजाई की तुलना में कम होता है. जमीन एवं जल-संसाधन संरक्षण के साथ- साथ मजदूरी व ऊर्जा की बचत होगी. बिजाई जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह में करनी चाहिए.
#Haryana #DIPRHaryana pic.twitter.com/I1rtVgw4G4
— DPR Haryana (@DiprHaryana) April 17, 2023
30 प्रतिशत तक पानी की बचत
नर्सरी तैयार कर धान की बुआई करने में पानी की बहुत अधिक खपत होती है जबकि सीधी बिजाई के तहत धान के बीज का खेत में छिड़काव करके या सीड ड्रिल यानि DSR मशीनों से बिजाई करते हैं तो फसल को उतना ही पानी देते हैं जितनी आवश्यकता होती है. इस तकनीक से बुआई पर पानी की लगभग 30 प्रतिशत तक बचत कर सकते हैं.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!