नहीं रहे पंजाब के 5 बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, राजनीतिक रसूख ऐसा कि पीएम मोदी भी छूते थे पैर

चंडीगढ़ | पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की जिंदगी का कारवां थम गया है. वो पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उपचार के लिए मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती थे लेकिन 25 अप्रैल को उन्होंने अंतिम सांस ली. बता दें कि 43 साल की उम्र में वो पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे और आजादी के बाद सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे हैं. पंजाब की राजनीति में सक्रिय होने से पहले वह अपने गांव बादल के सरपंच और बाद में लंबी ब्लॉक समिति के अध्यक्ष बने. साल 1957 में पहली बार वो शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक चुने गए थे.

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Prakash Singh Badal

पीएम मोदी छूते थे पैर

5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने लगातार 11 चुनाव जीते थे. बादल देश की राजनीति के सबसे बुजुर्ग नेता थे. सियासी तौर पर उनका रसूख इस कदर था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके पैर छूते थे. उनका 75 साल का राजनीतिक जीवन बेहद ही शानदार और सफल रहा है.

पद्य विभूषण किया वापस

केन्द्र की मोदी सरकार तीन नए कृषि सुधार कानून लेकर आई थी लेकिन इन कानूनों का जबरदस्त विरोध हुआ तो उन्होंने पंजाब में भारतीय जनता पार्टी से अपना गठबंधन तोड़ लिया. उनके बेटे सुखबीर बादल की पत्नी ने केन्द्रीय मंत्री का पद त्याग दिया था. इसके बाद, प्रकाश सिंह बादल ने विरोधस्वरूप अपना पद्म विभूषण वापस लौटा दिया था.

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केन्द्र में भी रही दहाड़

पंजाब सूबे की राजनीति में प्रकाश सिंह बादल को राजनीति का बाबा बोहड़ कहां जाता था, तो वहीं केन्द्र में भी उनकी जबरदस्त पकड़ रही थी. जनसंघ व बीजेपी की तरफ झुकी राजनीति के प्रमुख चेहरों में शुमार रहे और भाजपा ने भी उन्हें कभी नजरअंदाज भी नहीं किया. हालांकि केंद्र की राजनीति उन्हें ज्यादा पसंद नहीं आई. 1977 में केन्द्र की मोरारजी देसाई की सरकार में उन्हें केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बनाया गया था लेकिन कुछ महीनों में ही वो इस पद को त्याग कर वापस पंजाब की राजनीति में लौट आए.

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चौटाला परिवार से थे विशेष संबंध

पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के साथ बादल परिवार के रिश्ते बेहद ही खास रहें हैं. देश और प्रदेश की राजनीति में कई बार ऐसे मौके आए, जब लगा कि बादल और चौटाला परिवार के रिश्ते दांव पर लग सकते हैं लेकिन दोनों ने इन रिश्तों पर कभी कोई आंच नहीं आने दी. चौटाला परिवार में आज पूरी तरह से फूट पड़ी हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी बादल परिवार के सभी सदस्यों के साथ आत्मीय संबंध है.

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