हरियाणा के बाबा ने राजस्थान में 3 साल तक एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या, आज मंदिर में दूर- दूर से आते हैं श्रद्धालु

नई दिल्ली | राजस्थान में वैसे तो कई मंदिर हैं और उन मंदिरों की अनोखी मान्यताएं और घटनात्मक इतिहास भी है. आज हम बात करने जा रहे हैं बीकानेर स्थित काली माता मंदिर की. मंदिर में दूर- दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं. बीकानेर के सुजानदेसर काली माता मंदिर करीब 25 साल पुराना है. कहा जाता है कि इस मंदिर में भक्त जो भी मनोकामना लेकर आते हैं वह पूरी होती है.

Kali Mata Bikaner

मंदिर की ये है विशेषता

मंदिर के बारे में अधिक जानकारी देते हुए पुजारी ताराचंद गहलोत ने बताया कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर में काली माता की मूर्ति 4 या 5 फीट नहीं बल्कि 11 फीट 3 इंच की है. बीकानेर में यह पहला ऐसा काली माता मंदिर है जिसकी ऊंचाई 11 फीट है. ऐसे में काली माता के दर्शन के लिए शहर के अलावा कलकत्ता, मुंबई समेत राजस्थान के कई शहरों से लोग आते हैं. यह मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है. पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में मां की मूर्ति बनाने में करीब डेढ़ साल का समय लगा और यह मूर्ति पांच धातुओं से बनी है.

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तीन साल एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या

पुजारी ताराचंद के मुताबिक, 25 साल पहले हरियाणा के एक बाबा ने यहां एक पैर पर तीन साल तक तपस्या की थी. तपस्या के दौरान जब माता ने उनसे स्थान मांगा तो बाबा ने इस स्थान को माता का मंदिर बना दिया. धीरे- धीरे मंदिर का स्वरूप बदलने लगा और मंदिर के चारों ओर पेड़- पौधे लगाए गए जिससे लोग शाम को दर्शन करने के बाद यहां बैठते हैं।

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नवरात्रि और शनिवार को लगता है मेला

आपकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि इस मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों तक मेला लगता है. शनिवार को भी यहां मेले जैसा माहौल रहता है. यहां पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं क्योंकि कोई भी भक्त यहां पर आता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है.

मंदिर परिसर में हैं कई मंदिर

पुजारी ने बताया कि काली माता मंदिर में पहले गणेश और फिर नौ देवियों की मूर्ति है. इनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद, महागौरी, सिद्धि दात्री, सती, सरस्वती, हनुमानजी, सीताराम, लक्ष्मण, महादेव और राधाकृष्ण की मूर्तियां रखी गई हैं. इसके अलावा, काला और गौरा भैरव की भीमकाय प्रतिमा है.

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