ज्योतिष, Chandra Grahan | साल 2023 में कुल 4 ग्रहण लगने वाले हैं जिसमें से साल का पहला ग्रहण लग चुका है. वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगने के बाद अब जल्द ही चंद्रग्रहण भी लगने वाला है. बता दें कि साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा यानी कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगेगा. वैज्ञानिक दृष्टि से बात की जाए तो चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है. पुराणों में दी गई जानकारी के अनुसार, जब राहु चंद्रमा को ग्रसित करते हैं तब चंद्रमा ग्रहण का संयोग बनता है.
चंद्रमा और सूर्य ग्रहण से पहले भी सूतक काल लग जाता है. चंद्र ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल को अशुभ माना जाता है. आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे कि साल का पहला चंद्र ग्रहण कब लगने वाला है और इसका सूतक काल कब से मान्य होगा.
इस दिन लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 शुक्रवार को रात 8:45 से शुरू होगा और इसकी समाप्ति देर रात्रि 1:00 बजे होगी. इसे उपच्छाया चंद्रग्रहण भी कहा जा सकता है. इसी दिन वैशाख महीने की पूर्णिमा भी है जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना चाहता है. चंद्रग्रहण का परमग्रास समय रात 10:53 मिनट पर है.
वहीं, चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है परंतु साल का पहला चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण की तरह ही भारत में दिखाई नहीं देगा. इस वजह से इस ग्रहण का सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा.
इन देशों में दिखाई देगा चंद्रग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण का असर यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर पर रहेगा. जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पडकर उपच्छाया पड़ती है तो इसे उपच्छाया चंद्रग्रहण कहा जाता है. बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं.
ग्रहण से 9 घंटे पहले लग जाता है सूतक काल
ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाते हैं और देवी देवताओं की पूजा नहीं होती. 5 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा. इस वजह से इसका सूतक काल भी या नहीं लगेगा. गर्भवती महिलाओं को भी ग्रहण के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि चंद्र ग्रहण भारत में नहीं लगेगा, इस वजह से भारतीय लोगों को इससे डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, इस चंद्र ग्रहण की वजह से पश्चिमी देशों की समस्याएं बढ़ सकती है.
प्राकृतिक आपदाओं की भी संभावना बनेगी. 5 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण वास्तव में एक उप छाया चंद्रग्रहण है. हर चंद्रग्रहण शुरू होने से पहले चंद्रमा की उपछाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है. इसके बाद, चंद्रमा पृथ्वी के वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है. ऐसे में उपछाया के समय चंद्रमा की रोशनी में हल्का धुंधलापन होता है, चंद्रमा का रंग मटमैला हो जाता है. इसे उपछाया चंद्र ग्रहण करते हैं.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!