अब धरती में नहीं हवा में लगेंगे आलू, हरियाणा से होगी इस खेती की शुरूआत

करनाल | कृषि के क्षेत्र में अब हर दिन नए सुधार हो रहे हैं और इस बात पर तो हमेशा ही ज़ोर दिया जाता है कि ऐसा क्या किया जाए कि कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके. इसी तरह से अब कृषि के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है. कृषि के क्षेत्र में हुआ यह बड़ा बदलाव जल्द ही पुरी दुनिया को देखने मिल सकता है. अब यहां पर हम आपको विशेष रुप से बता दें कि आलू अब से धरती पर नहीं बल्कि हवा में उगेंगे.

AALU

एरोपोनिक तकनीक के द्वारा हवा में लहराएंगे आलू

भले ही यह बात आपको सुनने में थोड़ी अजीब लगी हो, या फ़िर इसे सुन कर थोड़ी देर के लिए तंग भी रह गए होंगे. किन्तु, यही सच्चाई है और अब यह जल्द ही संभव हो पाएगा. एक तकनीक की सहायता से अब धरती पर आलू उगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दरअसल, हरियाणा के जिला करनाल में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र इस दिशा में दुरुस्ती से काम कर रहा है. एरोपोनिक तकनीक के द्वारा अब आलू को हवा में उगाया जाने का विज़न देखा जा रहा है.

करनाल का इंटरनेशल पोटेटो सेंटर के साथ हुआ एमओयू, भारत सरकार से मिली मंजूरी

इस ख़ास तकनीक की सहायता के बाद से आलू की फसल भी ज्यादा मात्रा में होगी और साथ ही साथ बिना मिट्टी और पानी की आवश्यकता से आलू को उगाया जा सकेगा. बीते समय से चली आ किसान भाईयो की पुरानी तकनीक की बजाय अब इस नई तकनीक से आलू की खेती की जाएगी. मुख्य रूप से जानकारी दें दे कि, इस मामले को लेकर प्रौद्योगिकी केंद्र, करनाल का इंटरनेशल पोटेटो सेंटर के साथ एमओयू हुआ है. जिसके बाद से ही भारत सरकार की ओर एयरोपोनिक तकनीक से आलू की खेती करने को मंजूरी दे दी गई है.

अब कम लागत में ज्यादा से ज्यादा होगा मुनाफा- डॉ मुनीष सिंगल

हाल में आई, आलू को हवा में उगाने वाली नई तकीनक के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ मुनीष सिंगल ने संवाददााओं के माध्यम से जानकारी दी और कहा कि एयरोपोनिक तकनीक में जो भी न्यूट्रिएंट्स पौधों को दिए जाते हैं वह लटकती हुई जड़ों की सहायता से ही दिए जाते हैं. इसी वजह से ही अब भविष्य में थोड़ी पैसा और मेहनत लगा कर ज्यादा मात्रा में आलू का उत्पादन किया जा सकता है.

वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि इस तकनीक का प्रयोग करने से किसी भी तरह के मिट्टी की गुणवत्ता में कमी नहीं आएगी. साथ ही साथ वैज्ञानिकों की ओर से दावा किया गया है कि पुरानी तकनीक से ज्यादा का उत्पादन एयपोपनिक तकनीक की सहायता से किया जा सकता है.

 सफल परिणाम के बाद सभी राज्यों के किसानों को होगा फायदा

आलू प्रौद्योगिकी केंद्र, करनाल के सब्जेक्ट स्पेशलिस्ट शार्दुल शंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए CPRI की मदद से एक सिस्टम लगाया गया है. जिससे अब बीज के उत्पादन की क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है. साथ ही साथ इस तकनीक के सफल परिणाम सामने आने के बाद, इसका लाभ हरियाणा के साथ साथ सभी राज्यों के किसानों को भी हासिल होगा.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!

exit