अंबाला में बने तिरंगे झंडे की मांग देश के कोने-कोने में, पाकिस्तान से जीत के बाद भी इसे फहराया गया

अम्बाला । सैनिकों के शहर अंबाला छावनी के राय मार्केट में देश का तिरंगा झंडा तैयार किया जाता है. इस तिरंगे झंडे को देश में हर जगह फहराया जाता है. अंबाला की एक छोटी सी दुकान में तैयार किए गए, तिरंगे झंडे की मांग पूरे हरियाणा के साथ-साथ लद्दाख,जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश आदि अन्य राज्यों में भी है.

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अंबाला का बनाया हुआ तिरंगा काफी राज्यों में है फेमस

गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उनके दादाजी ने एक साधारण सिलाई मशीन से झंडा बनाने का काम शुरू किया था. 1971 में जब भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में हमारे देश की जीत हुई तो देश की चोटियों पर भी अंबाला का बनाया हुआ, झंडा फहराया गया था. युद्ध के दौरान ही रातों-रात 50 तिरंगे बनाकर हवाई जहाज से भेजे गए थे. साथ ही उन्होंने बताया कि 5 दशक से हर 15 अगस्त व 26 जनवरी पर एक से दो  हजार तिरंगे तैयार किए जाते हैं.

तिरंगे झंडे के साथ अन्य पार्टियों के झंडे भी बनाए जाते है 

साथी गुरप्रीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने अब तिरंगा बनाने के साथ-साथ पार्टी के झंडे को बनाने का काम भी शुरू किया है. इसमें गाड़ियों पर लगने वाले आकर्षक और टिकाऊ झंडे भी बनाए जाते हैं. भाजपा, जननायक जनता पार्टी, कांग्रेस, हरियाणा जनतांत्रिक कांग्रेस,सहित अन्य राजनीतिक दलों के अलावा भारतीय किसान यूनियन व अन्य खास तरह के झंडे भी बनाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि हरियाणा और पंजाब वर्ष 1964 में एक ही राज्य थे.

एक फौजी ने उनसे  तिरंगा बनवाया. तब अंबाला छावनी से एकाएक उनके पास तिरंगा बनवाने के लिए मांग बढ़ गई. रोजाना उनकी दुकान पर 30 से 40 तिरंगे सिले जाते हैं. बड़े तिरंगे का साइज 12 बाई 18 का  है , उसकी कीमत ₹3000 है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय झंडा बनाना किसी गौरव पूर्ण कार्य से कम नहीं है. वे तिरंगे की सिलाई करते समय पैरों में जूते नहीं पहनते.

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