पानीपत | हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लंबे- चौड़े दावे करते नहीं थकते हैं लेकिन उनका यह दावा जमीन पर दम तोड़ता नजर आ रहा है. पानीपत के हरि नगर के प्राथमिक विद्यालय की बुरी हालत मंत्री के दावों की पोल खोल रहा है. पिछले दिनों पानीपत पहुंचे मंत्री कंवर पाल ने दावा किया था कि हरियाणा के स्कूल दिल्ली समेत देश के सभी राज्यों से बेहतर हैं.
शिक्षा मंत्री ने किया था ये दावा
बता दें कि शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर शिकायत समिति की बैठक लेने पानीपत पहुंचे थे. इस दौरान पत्रकारों ने शिक्षा मंत्री से हरियाणा के जर्जर स्कूलों को लेकर सवाल किया. जिसके बाद, शिक्षा मंत्री बड़े- बड़े दावे करते नहीं थक रहे थे. उन्होंने कहा कि हरियाणा में दिल्ली और देश के अन्य राज्यों से बेहतर स्कूल हैं लेकिन पानीपत के हरिनगर और एकता विहार कॉलोनी के सरकारी स्कूल उनके दावों की पोल खोल रहे हैं.
सरकारी स्कूलों की बदहाली
हरियाणा में सरकारी स्कूलों का क्या है हाल और जिन व्यवस्थाओं से इसे चलाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जहां पिछले 15 सालों से यह स्कूल सिर्फ 2 कमरों में चल रहा है. यहां के स्कूल में छात्रों की संख्या 350 से ज्यादा है. ऐसे में बच्चों की क्लास या तो बरामदे में चलती है या फिर तपती गर्मी में छत पर बने टीन शेड में.
तपती गर्मी में छत पर क्लास
100 गज जमीन वाले स्कूल में किस तरह जमीन पर क्लास चलाई जा रही है, जिसमें हॉल में एक साथ 3 क्लास चल रही थी. एक साथ तीन कक्षाएं चलने के कारण न तो छात्र ठीक से पढ़ाई कर पाते हैं और न ही शिक्षकों को पता चल पाता है कि कौन सा छात्र किस कक्षा का है. इतना ही नहीं, 42 डिग्री की भीषण गर्मी में छत के ऊपर टिन शेड के नीचे कक्षा 5 के छात्रों को पढ़ाया जा रहा था. जहां पंखा तक नहीं होता.
स्कूल में सुविधाओं का अभाव
प्राचार्य ने बताया कि स्कूल में व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. यह स्कूल पांचवीं कक्षा तक है. उन्होंने बताया कि स्कूल में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं. यहां आसपास कोई दूसरा माध्यमिक विद्यालय नहीं है जिसके कारण लड़कियां 5वीं कक्षा के बाद भी पढ़ना चाहकर भी स्कूल नहीं जा पाती हैं शिक्षक ने बताया कि कई बार स्कूल के हॉल में 5-5 क्लास लगानी पड़ती है और बच्चों को धूप में बैठना पड़ता है.
सुविधा नहीं, एक हॉल में तीन क्लास
कई क्लास होने से बच्चों की पढ़ाई में इतना शोर स्कूल में ऐसा हो रहा है कि कोई ठीक से पढ़ भी नहीं पा रहा है. इतना ही नहीं, स्कूल में क्लास के ठीक बगल में मिड- डे मील बनाया जाता है. ऐसे में मध्यान्ह भोजन बनाते समय यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. साफ है कि न तो मंत्री और न ही इन स्कूलों के शिक्षकों को इन बच्चों के भविष्य की परवाह है.
2 कमरे के स्कूल में 350 विद्यार्थी
प्रधानाध्यापक राकेश ने स्कूल की स्थिति के बारे में बताया कि पिछले कई वर्षों से यह स्कूल ऐसे ही दो कमरों में चल रहा है. पहले तो हालत इतनी खराब थी कि बच्चों को सड़क पर बैठना पड़ा. पिछले 10 साल से दो कमरों का यह भवन बनाकर उन्हें दे दिया गया, लेकिन इसमें भी 350 से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं, जिससे कुछ बच्चों को छत पर बैठना पड़ता है.
प्राचार्य ने बताया कि 2014 में उपायुक्त अजीत बालाजी जोशी को स्कूल के लिए दूसरी जगह आवंटित की गई थी. जगह भी चिन्हित कर ली गई है लेकिन उस पर कोई भवन नहीं बनाया गया है. उनके तबादले के बाद वह मामला वहीं दबा रह गया. अब स्कूल बनाने का टेंडर दिया जा चुका है, लेकिन यह टेंडर पहले की तरह कागजों में ही न लटका रहे. अब देखना होगा कि सरकार कब तक इस स्कूल की सुध लेती है और बच्चों को अच्छा माहौल कब तक मिलता है.
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