हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में अब नहीं होगा दवाइयों का टोटा, स्वास्थ्य मंत्री ने CMO को दी पावर

चंडीगढ़ | हरियाणा के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब मरीजों को दवाइयों और आवश्यक उपकरणों की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा. सरकार ने सभी सिविल सर्जन को अपने स्तर पर जरूरी दवाइयों और अन्य सामान खरीदने की अनुमति दे दी है. इससे अस्पतालों में दवाइयों का टोटा खत्म होगा और मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाइयां नहीं खरीदनी पड़ेगी.

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स्वास्थ्य महानिदेशक डा. सोनिया खुल्लर ने इस संबंध में सभी सिविल सर्जन को आदेश जारी कर दिए हैं. पत्र में कहा गया है कि स्थानीय खरीद केवल उन दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों के लिए की जानी चाहिए जो अनुबंधित दरों (आरसी) पर उपलब्ध नहीं है और न गोदमों में स्टाक है.

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दिए गए ये निर्देश

सिविल सर्जन पूरे जिले के लिए आवश्यक दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों की जरूरत की गणना करने के लिए जवाबदेह होंगे. खरीद केवल जेम पोर्टल (सरकारी इंटरनेट मार्केटप्लेस), टेंडर या जायज अनुबंध से की जानी चाहिए. अन्य राज्यों के सरकारी निगमों यथा केरल मेडिकल सेवा निगम राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम, खरीदी जानी चाहिए. पंजाब स्वास्थ्य सिस्टम कारपोरेशन आदेश से भी दवा खरीदी जा सकती है जहाँ से स्टाक कम कीमत पर उपलब्ध हो.

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जेनेरिक दवाएं खरीदने के निर्देश

महानिदेशक ने कहा कि संबंधित सिविल सर्जन पूरे हो है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए जिले में आवश्यक दवाओं और उपभोग्य सामान का बफर स्टाक बनाए रखा जाना चाहिए. स्टाक की उपलब्धता और स्थानीय खरीद जिला मुख्यालय स्तर पर की जानी चाहिए. सरकारी नीति के अनुसार केवल जेनेरिक दवाएं ही खरीदी जानी चाहिए.

आदेश ना मानने पर होगी कार्रवाई

आदेश ना मानने वाले संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. दूसरी तरफ हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. राजेश ख्यालिया ने कहा है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता का जब यह हाल है तो बाकी स्वास्थ्य सेवाओं और टेस्ट की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दवाइयां नहीं होने की वजह से डाक्टर हर रोज मरीजों व उनके तीमारदारों की नाराजगी झेल रहे हैं.

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