नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट (SC) ने 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, इस मुद्दे पर काफी दिनों से पक्ष (सरकार) और विपक्ष में विवाद छिड़ा हुआ है. सरकार ने नए संसद भवन के उद्धघाटन के लिए पीएम मोदी को चुना है तो विपक्ष राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से उद्धघाटन कराना चाहता है.
बता दें लोकसभा सचिवालय को सुझाव देने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए. याचिका एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने दायर की है. एडवोकेट सीआर का कहना था कि लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है.
उद्धघाटन राष्ट्रपति से न करवाना संविधान का उल्लंघन: CR
याचिका में एडवोकेट ने संविधान के अनुच्छेद 79 का उल्लेख किया है जो कहता है कि संसद राष्ट्रपति और दोनों सदनों से मिलकर बनती है. उसमें यह बताया गया है कि राष्ट्रपति, देश का पहला नागरिक, संसद सत्र बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति रखता है. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है और सभी कार्यकारी वर्क राष्ट्रपति के नाम पर किया जाता है. यह तर्क दिया गया है कि समारोह के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना अपमान और संविधान का उल्लंघन है.
Supreme Court declines the PIL seeking a direction that the new Parliament building should be inaugurated by President Droupadi Murmu on 28th May. https://t.co/Cu8Z35TRza
— ANI (@ANI) May 26, 2023
19 विपक्षी पार्टियों ने किया उद्धघाटन का बहिष्कार
कांग्रेस और 18 अन्य विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसमें कहा गया है कि पीएम मोदी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिना भवन का उद्घाटन करने का निर्णय उच्च कार्यालय का अपमान करता है. राष्ट्रपति का और संविधान के पत्र और भावना का उल्लंघन करता है.
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