चंडीगढ़ | राजधानी चंडीगढ़ में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. जिसके चलते अब 1 जून 2023 से यूटी प्रशासन गैर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं करेगा. सितंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी की गई कि यह नीति पांच साल के लिए लागू होगी. जिस दौरान लोगों को प्रदूषण फैलाने वाले वाहन खरीदने से रोकने के लिए प्रशासन ने धीरे- धीरे ईंधन से चलने वाले वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाने की योजना बनाई है.
ये है रोक लगाने का मकसद
पॉलिसी के पहले साल में 25,000 ई- साइकिल, 1,000 ई- बाइक और 3,000 कार समेत विभिन्न कैटेगरी के 42,000 वाहनों को इंसेंटिव ऑफर किया गया था. इसके जरिए प्रशासन पिछले साल की तुलना में ईंधन से चलने वाले चारपहिया वाहनों की संख्या में 10 फीसदी और दोपहिया वाहनों की संख्या में 35 फीसदी की कमी लाने पर विचार कर रहा है. करीब 17 ऐसे कारोबारी हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
ऐसे में हर शोरूम में 60 से 70 कर्मचारी काम कर रहे हैं. जिसके मुताबिक, चंडीगढ़ के ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 1,100 लोग काम कर रहे हैं. ईवी पॉलिसी लागू होने से इन सभी का रोजगार प्रभावित होगा. वहीं, इन सब से जुड़े और भी लोग हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इन्हें कहीं भारी नुकसान भी हो सकता है.
चंडीगढ़ में नॉन इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. इन कंपनियों के लिए मुश्किल मौजूदा समय में सिर्फ 4 कंपनियां हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन बना रही हैं जिसमें हीरो, जॉय ई- बाइक, एथर एनर्जी और टीवीएस इन चारों कंपनियों के अलावा कोई भी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन नहीं बना रही है. बड़ी कंपनियों में हीरो, होंडा, बजाज भारत की ऐसी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां हैं, जिन्होंने अभी तक इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के बारे में सोचा भी नहीं है. इसके अलावा, रॉयल एनफील्ड जो सिर्फ पेट्रोल बाइक बनाती है. उसके लिए इस नीति के अनुसार कार्य करना असंभव है.
अब धीमी होगी बाइक की रफ्तार
पेट्रोल बाइक की तुलना में ईवी बाइक की स्पीड भी कम है. कौन सी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां बाइक दे रही हैं. इनकी रफ्तार 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार नहीं दे सकती. अगर 110 सीसी की स्पीड रेस बढ़ानी है तो उसके लिए 1 लाख 35 हजार से 1.5 लाख तक अलग से खर्च करना होगा.
मुश्किलों का करना पड़ सकता है सामना
दूसरी तरफ चंडीगढ़ जैसे शहर में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अब गर्मी शुरू हो चुकी है. आने वाले दिनों में और भी बिजली कटौती हो सकती है, जहां लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंच रही है आप वहां वाहन के लिए बिजली कैसे प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा नुकसान तब होता है जब इस इलेक्ट्रिक व्हीकल को महसूस किया जाता है. अगर किसी को आपात स्थिति में कहीं जाना है तो उसे पहले अपने वाहन को चार्ज करने के बारे में सोचना होगा.
होंडा बाइक के मैनेजर ने कही ये बात
होंडा बाइक के मैनेजर सेल्स एंड मार्केटिंग हेड रंजन ने कहा कि पेट्रोल बाइक का रजिस्ट्रेशन बंद होने से जहां ग्राहकों के पास दूसरे विकल्प हैं तो वहीं शोरूम मालिक के पास और कोई चारा नहीं है. उन्होंने बताया कि अगर आज चंडीगढ़ में रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया तो वहां के लोग मोहाली और पंचकूला जाकर अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराएंगे.
दुकानदारों को भी नुकसान
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में हमारे पास करीब 500 पेट्रोल बाइक का स्टॉक है. चंडीगढ़ में लगभग 17 बाइक और कार शोरूम हैं, जिनमें बड़े और छोटे शोरूम मालिक शामिल हैं जिनके पास सिर्फ इतना ही स्टॉक पड़ा है. ऐसे में अगर ईवी पॉलिसी लागू की जाती है तो दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अगर पिछले साल की बात करें तो चंडीगढ़ के कुछ शोरूमों ने 40 दिनों से अधिक समय से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बंद होने के चलते अपना स्टॉक पंजाब और हरियाणा के शोरूम मालिकों को उसी कीमत पर बेच दिया था, जिससे उसने इसे खरीदा था जिससे कोई लाभ नहीं हुआ.
बैटरी चार्ज करने से पहले जाने ये बात
होंडा के मैनेजर रंजन ने बताया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में इसकी बैटरी की कीमत इतनी ही होती है. यदि बैटरी अधिक चार्ज हो जाती है तो विस्फोट होने की संभावना हो सकती है. हाल ही में, ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं. इसके अलावा, अगर बैटरी खराब हो जाती है तो उसे नया खरीदकर बाइक में लगाना होगा. जिसकी वजह से रिप्लेसमेंट कॉस्ट 40 से 50 साल के करीब है.
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