हरियाणा के किसानों के लिए अच्छी खबर, मचान विधि से उगाएं घीया; करें लाखों की कमाई

चंडीगढ़ | चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने घीया की नई किस्म जीएच- 22 तैयार की है. इस किस्म का प्रति एकड़ उत्पादन 100 से 120 क्विंटल तक है. इसके साथ ही, किसान हाइब्रिड एचबीजीएच किस्म लगाकर 130 से 140 क्विंटल घीया प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. यदि किसान मचान विधि से घीया की फसल लगाते हैं तो वे प्रति एकड़ 15 प्रतिशत तक अधिक मुनाफा ले सकते हैं.

Machan Vidhi

किसानों को अनुदान दे रही हरियाणा सरकार

कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. धर्मवीर दूहन ने बताया कि मचान विधि से घीया की फसल लगाने पर परागण अधिक होता है. इसके साथ ही घीया का आकार, रंग व उसकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है. बरसात के मौसम में मचान विधि से लगाई घीया जलभराव से बच जाती है, जिससे इसमें रोग भी कम आते हैं. मचान विधि से घीया लगाने पर हरियाणा सरकार किसानों को अनुदान भी दे रही है.

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घीया का ऐसे करें लालड़ी कीट से बचाव

घीया की बिजाई के दो से तीन सप्ताह बाद लालड़ी कीट का प्रकोप हो जाता है. इसके प्रौढ़ पीले रंग के और चमकीले होते हैं. पत्तियों में प्रौढ़ गोल सुराख कर देते हैं. इसके प्रकोप से छोटे पौधे पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं. मध्य जून से अगस्त तक इसका प्रकोप अधिक होता है. लालड़ी कीट की रोकथाम के लिए पांच किलोग्राम कार्बोरिल पांच डी और पांच किलोग्राम राख का प्रति एकड़ धूड़ा करें. लालड़ी की लटों से बचाव के लिए 1.6 लीटर क्लोरपाइरीफास 20 ई.सी. को बिजाई के एक महीने बाद सिंचाई के साथ लगाएं.

फल मक्खी से नुकसान

ये मक्खी कोमल फलों के गूदे में अंडे देती है. बाद में अंडों से सूंडी निकलकर फल के गूदे को खाती है जिससे फल खराब हो जाते हैं. 400 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ईसी या 500 ग्राम कार्बोरिल 50 घुपा को 200 से 250 लीटर पानी और 1.25 किलोग्राम गुड़ या सीरे में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर प्रति एकड़ छिड़कने से फल मक्खी की रोकथाम की जा सकती है.

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घीया की बिजाई का तरीका

घीया की बिजाई के लिए उठी हुई क्यारियां बनाएं, जिससे बरसात के मौसम में जलभराव न हो. लाइन से लाइन की दूरी ढाई मीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें. एक साथ दो पौधे लगाएं बाद में स्वस्थ पौधे को रखें और कमजोर पौधे को उखाड़ दें. घीया की बिजाई के लिए प्रति एकड़ डेढ़ किलोग्राम बीज पर्याप्त है.

ऐसे करें खाद प्रबंधन

घीया के लिए प्रति एकड़ 20 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन, 10 किलोग्राम फास्फोरस और 10 किलो पोटाश प्रति एकड़ डालें. फास्फोरस और पोटाश घीया की बिजाई के समय ही खेत में डाल दें. एक तिहाई नाइट्रोजन बिजाई के समय और बाकी दो तिहाई नाइट्रोजन फूल आने व फल आने के समय डालें. सड़ी हुई काली गोबर की खाद प्रत्येक पौधे के पास एक मुट्ठी डालें.

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क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ

कृषि विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र सिहाग ने बताया कि हरियाणा सरकार किसानों को मचान विधि से धीया की खेती करने पर प्रति एकड़ 31:210 रुपये का अनुदान दे रही है. किसान अधिकतम दो एकड़ तक अनुदान प्राप्त कर सकते है. विश्वविद्यालय के सब्जी विभाग के अध्यक्ष डॉ. टोपी मलिक ने बताया कि मचान विधि से धोया लगाने पर रोग का प्रकोप कम होता है. इससे उत्पादन भी 15 प्रतिशत तक अधिक होता है. बरसात के समय फल के पास जलभराव नहीं होता. कृषि की नई किस्म जीएच 22 और हाइब्रिड एचबीजीएच से 120 से 130 क्विंटल तक प्रति एकड़ उत्पादन किसान से सकते हैं.

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