2014 की तरह BJP ने गैर- जाट राजनीति में लौटने का बनाया मन, तैयार किया ये ख़ास मास्टर प्लान

चंडीगढ़ | 2019 में पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन कर हरियाणा में सरकार बनाने वाली BJP ने अब 2014 की तरह राज्य में गैर- जाट राजनीति में लौटने का मन बना लिया है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जेजेपी नेता और गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को पार्टी की तरफ से संकेत दिया गया है कि वो चाहें तो गठबंधन से बाहर जा सकते हैं क्योंकि अब बीजेपी उन्हें कुछ भी नया देने को तैयार नहीं है.

BJP

पार्टी कर रही ये प्रयास

सूत्रों के मुताबिक, 2019 के विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने से चूकने वाली बीजेपी ने अब 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गैर जाट वोटरों पर ज्यादा फोकस करने का मन बना लिया है. बीजेपी ने निर्दलीय विधायकों के दम पर हरियाणा में सरकार बचाने और गैर जाट वोटरों के दम पर राज्य में राजनीतिक जमीन बचाने का प्लान तैयार किया है और पार्टी इस रोडमैप पर एक साथ कई स्तरों पर लगातार काम कर रही है.

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अभी ये है बीजेपी का आंकड़ा

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 41 विधायक हैं जबकि जेजेपी के 10 विधायक हैं. अगर जेजेपी सरकार से अलग होती है तो बीजेपी को सरकार बचाने के लिए कम से कम 5 और विधायकों की जरूरत पड़ेगी. यही वजह है कि कुछ दिनों पहले हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब ने हरियाणा के निर्दलीय विधायक धरमपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह, सोमवीर सांगवान और हलोपा प्रमुख व विधायक गोपाल कांडा से मुलाकात की थी ताकि जेजेपी गठबंधन से अलग हो सके. इसके बाद, सरकार गिरने की नौबत ही न आए. गोपाल कांडा और सभी 7 निर्दलीय विधायकों के दम पर बीजेपी का आंकड़ा 49 तक पहुंच गया है.

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दूसरी तरफ, 2019 की तरह 2024 में भी बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने और अपने दम पर विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के लिए गैर जाट वोटरों पर फोकस करने की रणनीति बनाई है. माना जा रहा है कि हरियाणा में जाट वोटरों की सबसे ज्यादा संख्या करीब 25 फीसदी है. यह भी दावा किया जाता है कि राज्य की 35 विधानसभा सीटों पर जीत या हार तय करने में जाट मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन बीजेपी अब राज्य में अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ जाटों को छोड़कर बाकी सभी कैटेगरी के वोटर्स पर फोकस करने जा रही है.

बीजेपी की नजर खासतौर पर मायावती यानी बसपा के वोट बैंक पर है. जाटों के बाद हरियाणा में दलितों का सबसे बड़ा वोट बैंक है. राज्य में करीब 21 फीसदी वोटर दलित वर्ग से आते हैं और यही वजह है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली बसपा को भी राज्य में 4.14 फीसदी वोट मिले थे.

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ये है बीजेपी की रणनीति

बीजेपी की रणनीति राज्य में गैर- जाट मतदाताओं यानी दलित, ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी, सिख, जाट, गुर्जर और अहीर को लुभाने की है, जिनकी कुल संख्या 69 से 71 फीसदी के आसपास बैठती है. बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना ​​है कि हरियाणा में जाट वोटों के कई दावेदार हैं और उनका बंटवारा तय है. पार्टी यह भी मान रही है कि किसान आंदोलनों और पहलवानों के आंदोलन की वजह से उसे जाटों का वोट मिलने की संभावना बेहद कम है और ऐसे में अन्य वर्गों के वोटरों पर ध्यान देकर पार्टी को ज्यादा फायदा मिल सकता है.

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