ज्योतिष, Chaturmas 2023 Dates | चातुर्मास का महीना धर्म, आचार्य, साधु- संतों योगीजनों के लिए काफी खास माना जाता है. इस दौरान वे एक ही स्थान पर रहकर जप और तप करते हैं. साथ ही भक्तों को धर्मोंपदेश भी देते हैं. चातुर्मास 4 महीने का होता है, इसी वजह से इसे चातुर्मास कहा जाता है. बता दें कि अबकी बार 2 महीने सावन है. इस वजह से चातुर्मास का महीना 4 महीने का न होकर 5 महीनों का होगा. गुरुवार 29 जून से गुरुवार 23 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा. अबकी बार चातुर्मास की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी और इसका समापन भी गुरुवार को ही होगा.
चतुर्मास में होगा इन शुभ योगों का निर्माण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चातुर्मास के दौरान 44 स्वार्थ सिद्धि योग, 5 पुष्य नक्षत्र और 9 अमृत सिद्धि योग का निर्माण होगा. इस महीने में व्रत, साधना और सेवा करना काफी अच्छा माना जाता है. कुछ लोग भागदौड़ भरे जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि इन कार्यों के लिए उनके पास बिल्कुल भी समय नहीं बचता. यकीनन जीवन में कोई भी मनुष्य इतना व्यस्त नहीं है कि वह कुछ पल चैन से सांस भी ना ले पाए. यदि सच में इतना समय नहीं है तो खुद सोचिए कि यह कैसा जीवन है. जिसमें मंदिर नहीं जा सकते. यदि चले भी जाते हैं तो मन कहीं और ही है.
भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व
देवी- देवताओं के समक्ष हाथ पूरे जोड़े हैं या आधे अधूरे इस बात तक कि आपको जानकारी नहीं है. यह सच है कि परिवार के भरण पोषण और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है परंतु स्वयं के लिए भी समय निकालना उतना ही जरूरी है, जिसे पुण्य कमाया जा सके. व्यक्ति के पुण्य कर्म ही जीवन भर और मृत्यु के बाद उसके काम आते हैं. चातुर्मास ऐसा समय या अवसर है. जिसमें आप व्रत साधना और सेवा जैसे कार्य करके पुण्य कमा सकते हैं और भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
चातुर्मास श्री हरि विष्णु के एक प्रसंग से जुड़ा शयन भाग है जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष की व्यवस्था एकादशी से शुरू हुआ है. जिस तरह मंदिरों में प्रतिदिन रात के समय देवों के सोने का समय मानकर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और सुबह भगवान का जागृत भाव मानकर मंदिरों के पट खोल कर पूजा- पाठ और आरती की जाती है. ठीक वैसे ही चातुर्मास का महीना भगवान विष्णु का शयन भाव है.
इन कार्यों की होती है मनाही
चातुर्मास के पूरे महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता. इस दौरान विवाह- शादी पर भी रोक होती है. चतुर्मास में पृथ्वी के सभी तीर्थ ब्रज में आकर ही निवास करते हैं. चातुर्मास में कुछ काम भी वर्जित माने जाते हैं, जैसे पलंग पर सोना, नशीले पदार्थों का सेवन करना, किसी अन्य का दिया गया भोजन करना, झूठ बोलना, दही खाना, मांस खाना, मूली, बैंगन और साग- पात आदि का सेवन करना भी चतुर्मास में वर्जित माना जाता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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