चंडीगढ़ | हरियाणा में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी भी आरंभ हो चुकी है जिससे प्रदेश की सियासत में भूचाल आया हुआ है. वहीं, क्या लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन टूट जाएगा? ये सवाल इन दिनों से हरियाणा की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा में है. इसके पीछे की वजह बीजेपी और जेजेपी की हालिया सक्रियता है.
बीजेपी पर नजर डालें तो पार्टी ने अचानक से दिल्ली से सटे राज्य पर अपना फोकस बढ़ा दिया है. बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक भी हो रही है. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का दौरा हो चुका है और अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 29 जून को हरियाणा में रैली करेंगे. पहले अंबाला में रैली थी, अब यह रैली जगाधरी में है. विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बीजेपी और जेजेपी करीब आ गई थीं लेकिन अब जो हालात प्रदेश में हैं उसके मुताबिक, गठबंधन टूटने की प्रबल संभावनाएं हैं. इसके पीछे हैं पांच ये बड़े कारण…
शाह की रैली के बाद बढ़ी सरगर्मी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिरसा में रैली के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है. राज्य की 10 में से 8 सीटों पर पार्टी मजबूत है. वह सिरसा और राेहतक में चुनौती महसूस कर रहे हैं. सुनीता दुग्गल सिरसा से सांसद हैं जबकि डॉ. अरविंद शर्मा रोहतक से सांसद हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विशेष तौर पर रानियां के विधायक एवं बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के घर पहुंचे. ये फोटो काफी चर्चा में है. पार्टी रणजीत चौटाला को निर्दलियों के साथ रखना चाहती है.
लोकसभा सीटों का पेंच
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. हरियाणा के इतिहास में लंबे समय बाद ऐसा हुआ जब सभी सीटें एक ही पार्टी के खाते में गईं. बीजेपी के साथ सरकार में साझीदार जेजेपी के पास अभी कोई सीट नहीं है. पूर्व में मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला खुद भी हिसार से सांसद रह चुके हैं. ऐसे में यह संभव नहीं है कि पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी और बीजेपी अपनी ही सीटें जेजेपी को क्यों देना चाहेगी. यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.
सीएम को कोई खतरा नहीं
अगर जेजेपी बीजेपी सरकार से अलग हो जाती है तो राज्य की मनोहर लाल सरकार को कोई खतरा नहीं है. सरकार निर्दलियों के सहयोग से चलती रहेगी. ऐसे में बीजेपी बेहद सेफ जोन में है और उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद कह चुके हैं कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है. इसके बाद प्रदेश प्रभारी बिप्लव देव ने भी कहा था कि समर्थन मुफ्त में नहीं लिया गया है, हमने मंत्री पद दिया है.
सीटें मिलेंगी तो बढेगी निर्भरता
2024 के चुनाव में अगर बीजेपी, जेजेपी को 10 में से एक या दो सीटें देती है तो इससे पार्टी की जेजेपी पर निर्भरता बढ़ जाएगी. जेजेपी जिस तरह से प्रदेश में संगठन का विस्तार कर रही है. ऐसे में इस बात की संभावना शून्य है कि पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. ऐसे में बीजेपी अपनी 10 सीटें जेजेपी को देगी. इसकी संभावना बहुत कम है.
दोनों पार्टियों की ये है तैयारी
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेजेपी अलग- अलग तैयारी कर रही हैं. इसे दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं होने की स्थिति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. प्रदेश प्रभारी बिप्लव देव गुरुग्राम के पटौदी में लोकसभा स्तर की रैली करने जा रहे हैं. तो वहीं, बीजेपी भी इस मोर्चे पर सक्रिय है. इसी रणनीति के तहत अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यमुनानगर में कार्यक्रम करने जा रहे हैं. शाह के सिरसा दौरे के बाद उच्च स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं. इसके ये भी मायने निकाले जा रहे हैं कि बीजेपी हरियाणा को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने के मूड में है.
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