सरकार पर दोबारा दबाव बनाने में जुटे किसान, कुंडली बॉर्डर पर पांच दिन में दोगुनी हुई तादाद

नई दिल्ली । जैसे-जैसे किसान आंदोलन लंबा होता जा रहा है वैसे वैसे इस आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव दिखाई देने लगे हैं. राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए बवाल और लाल किला पर धार्मिक झंडे के फहराये जाने के पश्चात 2 दिनों तक आंदोलन समाप्त होता दिखाई दे रहा था. तो दूसरी ओर सिर्फ 5 दिनों के अंदर अंदर धरना स्थल पर फिर से दोगुने किसान एकत्रित हो गए हैं.

Kisan Andolan Farmer Protest

किसान नेता सरकार पर बना रहे हैं दबाव

अब सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 45 हजार से अधिक किसान कुंडली बॉर्डर पर जमे हुए हैं और यहां पर लगातार किसान पहुंचते जा रहे हैं. इस प्रकार से किसानों में बढ़ते हुए जोश को देखकर सरकार पर किसान नेताओं ने फिर से दबाव बनाना आरंभ कर दिया है. किसान नेताओं को लग रहा है कि जब तक वह सरकार पर दबाव नहीं बनाएंगे तब तक सरकार की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं मिलेगा. अतः अब किसान नेताओं का केवल एक ही लक्ष्य है कि किसी ना किसी तरह सरकार पर दबाव बनाया जाए और बातचीत आरंभ कराई जाए.

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कुंडली बॉर्डर पर 27 नवंबर से ही किसानों ने डाला डेरा

नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 27 नवंबर से ही किसानों ने नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाल रखा है. पहले दिन ही कुंडली बॉर्डर पर लगभग 2000 ट्रैक्टर ट्रॉली और 25000 किसान अन्य वाहनों द्वारा पहुंच गए थे. उसके पश्चात किसानों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. जब कुंडली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन आरंभ हुआ था तब वहां पर मुख्य रूप से पंजाब के किसान उपस्थित थे. परंतु अब उन्हें यूपी हरियाणा के किसानों का साथ भी मिलने लगा है. इसी वजह से नेशनल हाईवे 44 पर पड़ाव बढ़ता ही चला गया और केजीपी केएमपी गोल चक्कर तक पहुंच गया. इसके पश्चात तो किसान बढ़ते ही चले गए और लगभग दो लाख किसान गणतंत्र दिवस पर बॉर्डर पर आ गए.

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