रेवाड़ी | खुद को परिवार का इकलौता सदस्य बताकर परिवार पहचान पत्र (PPP) न बनाने का ठीकरा सरकार पर फोड़ने वाले नया गांव डोहकी निवासी सतबीर के मामले की जिला प्रशासन रेवाड़ी ने जांच की तो हकीकत सामने आ गई. जांच में पता चला है कि उनके दो बेटों वाला पूरा परिवार है. वह अपने छोटे बेटे के साथ दिल्ली के नजफगढ़ में रह रहे थे. सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए एक माह पहले गांव आए सतबीर ने यह योजना बनाई थी.
PPP के लिए सतबीर ने नहीं किया आवेदन
दुल्हन मांगने जिला सचिवालय पहुंचे सतबीर के मामले की जांच डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने CRID के नोडल अधिकारी एडीसी स्वप्निल रवींद्र पाटिल को सौंपी. एडीसी की जांच रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए हैं. जांच में पता चला कि सतबीर ने न तो फैमिली आईडी बनवाने और न ही बुढ़ापा पेंशन के लिए पोर्टल पर आवेदन किया था. एडीसी पाटिल ने बताया कि 29 जून को क्रीड की टीम ने एकल सदस्य सत्यापन के लिए गांव का दौरा किया और तथ्यात्मक तरीके से जांच की गई.
जांच के दौरान टीम ने तथ्य सामने लाए कि उक्त व्यक्ति सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा ने आज तक कभी भी परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए विभाग से संपर्क नहीं किया. उन्होंने किसी भी सीएससी सेंटर से परिवार पहचान पत्र बनाने के लिए कोई आवेदन नहीं किया. जिसके आधार पर क्रीड उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई कर सके.
एडीसी पाटिल ने बताया कि सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा के परिवार में दो बेटे हैं. बड़ा बेटा गुरदयाल सीआरपीएफ में कार्यरत है और फिलहाल हैदराबाद में रहता है. छोटा बेटा विनोद नजफगढ़ के झुरझुरी गांव में रहकर फर्नीचर का काम करता है.
एक माह पहले ही गांव आया सतबीर
सतबीर सिंह के पड़ोसियों के मुताबिक, वह करीब 1 महीने से अपने बेटे के घर से अपने पैतृक गांव आए हैं. जांच में पता चला कि वह पिछले 20 साल से अपने छोटे बेटे के साथ नजफगढ़ में रह रहा था. वह 10- 15 दिनों से कभी- कभी गांव आता है. उनका खाना- पीना अपने भाई बुध सिंह के घर पर ही है. आज भी सतबीर सिंह खाने के लिए अपने भाई बुध सिंह पर निर्भर हैं.
सरकारी योजना के लिए नहीं किया आवेदन
एडीसी ने कहा कि जांच से पता चला कि सतबीर सिंह यह संघर्ष अपनी पेंशन या सरकार से कोई अन्य लाभ पाने के लिए नहीं कर रहा है. वह पिछली कोशिशों की तरह इस बार भी सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहता है. अपने बेटे के साथ नजफगढ़ में रहते हुए उन्होंने रेवाडी विधानसभा से चुनाव भी लड़ा था. इसके बाद, उन्होंने गांव में सरपंच का चुनाव लड़ा था.
सुर्खियां बटोरने के लिए यह सब कर रहा सतबीर
सतबीर सिंह सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी उनका अपने घर के बाहर प्रशासन से विवाद हो गया था. एडीसी ने बताया कि क्रीड टीम की जांच में यह बात सामने आई कि ग्रामीणों का कहना है कि वह अपने लिए मीडिया कवरेज पाने के लिए यह सब कर रहा है. साधन- संपन्न होने के बाद भी वह अपने टूटे- फूटे मकान में रह रहे हैं. यह भी बताया कि उसकी उम्र के सभी लोगों की पेंशन बन गयी है लेकिन वह खुद पेंशन लेने में रुचि नहीं ले रहा था. पूरा मामला पढने के यहाँ क्लिक करे
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