दर्जनभर गांवों के किसान क्यों लगाने लगे अपने नाम के पीछे ‘रवीश’, जानें- रोचक किस्सा

नई दिल्ली | केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में लागू किए नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान काफी ज्यादा बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं. इसी दौरान कुछ ऐसे किसान भी हैं जो अपने नाम के आगे रवीश लगाते हैं. ऐसे में एनडीटीवी संवाददाता रवीश रंजन ने उनसे एक विषेश वार्ता के दौरान पूछा कि आखिर वे सब अपने नाम के पीछे रवीश क्यों लगाते हैं, क्या यह किसी गोत्र का नाम है तो फिर इस पर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसके पीछे एक रोचक किस्सा सुनाया.

RAVIS NAME MEAN

 ‘रापड़िया’ से बना रविश

हरियाणा के कैथल जिले से आए किसान सुरेश रवीश ने अपनी बात में जानकारी सांझा करते हुए बताया कि ब्रिटिश काल में जाट बुद्धिजीवी और तत्कालीन राजनेता, विचारक सर छोटूराम जी के साथ उनके गांव के एक व्यक्ति उन दिनों लाहौर कॉलेज में कानून की पढ़ाई पढ़ रहे थे. उनके नाम के आगे लगा था ‘रापड़िया’ जिसे सही से बोलने में लोगों को काफ़ी दिक्कत होती थी. कहा जाता है कि रापड़िया उनके गोत्र का नाम था और उसे ही सरल बनाने के लिए उन्होंने उसे रवीश कर दिया था.

नौ से दस गांवो में रहते हैं रविश गोत्र के लोग

दरअसल, वह उस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे थे, इसलिए उनकी बात का बहुत लोग आदर करते थे, तो ऐसे में फिर एक बड़ी तादाद में लोगों ने अपने गोत्र का नाम रवीश कर लिया और लोग अपने -अपने नाम के आगे रवीश लगाने लगे. हालंकि, इस मामले में उन्होंने विस्तार से बातचीत करते हुए बताया कि हरियाणा के कैथल जिले में बाड़ुखाप के कुल नौ से दस गांव हैं, जहां पर रापड़िया गोत्र के लोग रहते हैं और उनमें से ज्यादातर लोगों अपने नाम के आगे अब रवीश लगाया हुआ है.

किसान खेत में ही लगते है अच्छे.. सड़कों पर नहीं है उनकी जगह

सुरेश रवीश ने इस मामले में स्पष्ट रूप से बातचीत करते हुए बताया कि अभी भी कुछ ऐसे लोग है जो अपने नाम के साथ रापड़िया लगाते हैं किन्तु, ज्यादातर लोग अब रवीश ही लगाने लगे हैं. ऐसे में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा है कि किसानों की भावनाओं व समस्याओं को गंभीरता से समझते हुए आंदोलन में पहल करने के साथ साथ अब कानून को वापस लें. इस बातचीत अंतिम चरण में रवीश ने साफ़ तौर पर कहा कि किसान सिर्फ़ खेतों में ही ठीक लगते है परन्तु, वह इस समय सड़क पर आंदोलन करता हुआ नज़र आ रहा है.

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