भिवानी | हरियाणा के नूंह में हिंसा में फंसे लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच गए हैं. ब्रज मंडल यात्रा में शामिल होने गए भिवानी के सुंधाशु भी सकुशल अप्रशिक्षित ड्राइवर की वजह से उनकी जान बच गई. घर लौटकर सुधांशु ने बताया कि नूंह में हिंसा के दौरान क्या हालात थे और कैसे एक शख्स ने बस चलानी नहीं आने के बावजूद उसे चलाया और अस्पताल पहुंचाया.
हिंसा के प्रत्यक्षदर्शी सुधांशु ने कही ये बात
सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे का समय था. नूंह में ब्रजमंडल यात्रा में शामिल गाड़ियों के काफिले में शामिल होकर हम सभी नल्हड़ शिव मंदिर से फिरोजपुर- झिरका के लिए निकले थे कि अचानक पूरा काफिला रुक गया. हमारी बस पीछे थी, जिसमें बहुत सारे बच्चे थे. इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, बस पर पथराव शुरू हो गया.
देखते ही देखते मंजर खौफनाक तस्वीर में बदल गया. पत्थरों की ऐसी बारिश हुई कि खुद को संभालना भी मुश्किल हो गया. पहले एक तरफ से पथराव हो रहा था. कुछ ही सेकंड बाद, चारों तरफ से पत्थरों की बारिश होने लगी. हालात ऐसे हो गए कि बस में चीख- पुकार मच गई. कुछ लोग बस से उतर कर भाग गये. इसमें बस का ड्राइवर भी शामिल था.
बस में सिर्फ 10 लोग ही बचे. इसी बीच उपद्रवियों की भीड़ पहुंच गई. हर आदमी की जेब चेक की. वे कह रहे थे कि बंदूक नहीं है. इसके बाद, उनके मोबाइल फोन और पर्स छीन लिए. एक शख्स ने उनकी मदद की और फिर सफर में उनके साथ आए अनट्रेड ड्राइवर ने बस की स्टीयरिंग संभाली. वह उन्हें 50 किलोमीटर दूर रेवाडी लेकर आए और ट्रॉमा सेंटर ले गए.
हिंसा में फंसने पर ऐसा लगा कि बाहर निकलना मुश्किल है लेकिन उनके साथ गए एक भाई ने बस की स्टीयरिंग संभाली. उनके सिर पर भी चोट लगी थी. उन्होंने बस की स्पीड बढ़ा दी और फिर गूगल नेविगेशन की मदद से गांवों से होते हुए बस को रेवाडी की तरफ मोड़ दिया.
करीब 15 किलोमीटर के रास्ते में समय- समय पर उनकी बस पर पथराव होता रहा, लेकिन भैया ने बस नहीं रोकी. हम सब आंखें बंद करके बैठे थे. बस में बैठते समय पथराव से कुछ लोगों का सिर फट गया. खून बहता रहा लेकिन, किसी ने कुछ सेकंड रुकने की हिम्मत नहीं की. किसी तरह वे नूंह बॉर्डर से निकले तो कुछ राहत मिली लेकिन हमने बस नहीं रोकी और सीधे बस लेकर रेवाड़ी ट्रॉमा सेंटर पहुंच गए. बस की हालत ऐसी थी कि एक भी खिड़की पर शीशा नहीं बचा था. हम सभी 10 लोगों का यहां इलाज चल रहा है. हमारे कुछ लोग वहां फंसे हुए हैं.
10 लोगों का चल रहा इलाज
बता दें कि नूंह हिंसा में घायल हुए 10 लोग रेवाड़ी शहर के सर्कुलर रोड स्थित ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं. इन घायलों का सिर फट गया है. इनमें युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं. नूंह में हिंसा के दौरान बिताए कुछ घंटों की खौफनाक कहानी सुनाते हुए उनकी रूह कांप जाती है. एक अप्रशिक्षित ड्राइवर बस चलाकर उन्हें नूंह से 50 किलोमीटर दूर रेवाड़ी ले आया.
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