रेवाड़ी | हरियाणा के रेवाड़ी जिले का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना बताया जाता है. रेवाड़ी शहर का इतिहास अलग- अलग शताब्दियों में विभिन्न विशेषताओं से जुड़ा हुआ माना जाता है. कुछ साहित्यकारों व इतिहासकारों का कहना है कि 16वीं शताब्दी में रेवाड़ी का इतिहास अंतिम हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की हवेली आज भी रेवाड़ी शहर के कुतुबपुर मोहल्ले में मौजूद है जो खंडहर अवस्था में तब्दील हो चुकी है.
सम्राट हेमचंद्र ने रेवाड़ी में आकर शुरू किया तोपों का व्यवसाय
इतिहास के कुछ भागों में सम्राट हेमचंद्र की जन्मस्थली रेवाड़ी बताई गई है. लेकिन, तथ्यों के अनुसार हेमचंद्र का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के मछेरी नामक स्थान पर हुआ था और सन 1516 में सम्राट हेमचंद्र अपनी बहन के घर रेवाड़ी में आ बसे थे. उस समय रेवाड़ी शहर व्यापार का एक बड़ा केंद्र हुआ करता था, इसलिए उन्होंने यहीं शिक्षा ली और तोपों का व्यवसाय शुरू कर दिया. बता दें कि कुतुबपुर स्थित यह हवेली हेमू के भतीजे राममाया की है जिनकी मृत्यु के बाद सम्राट हेमचन्द्र यहीं रहते थे.
हेमू की हवेली को बनाया जाए संग्रहालय: भार्गव
हेमचंद्र विक्रमादित्य फाउंडेशन रेवाड़ी के संयोजक सुधीर भार्गव का कहना है कि हेमचंद्र विक्रमादित्य पर कई पुस्तक लिखी गई हैं. कुछ दिन पहले हेमू के पास कुछ लोग उनके जीवन पर फिल्म बनाने के लिए भी आए थे. इस हवेली का प्रबंधन कई सालों से सुधीर भार्गव और उनका परिवार कर रहा है. हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी और उन्हें पत्र लिखा था कि रेवाड़ी स्थित हिमू की हवेली को संग्रहालय बनाया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी भी हेमू का इतिहास जान सके.
भार्गव कई सालों से कर रहे हवेली की सफाई
हेमचंद्र विक्रमादित्य फाउंडेशन रेवाड़ी के संयोजक सुधीर भार्गव अपनी टीम के साथ कई सालों से हेमू की हवेली की सफाई कर रहे हैं. वहीं, इस हवेली में सुबह- शाम झाड़ू- पोछा करते हैं और साफ- सफाई रखते हैं. सुधीर भार्गव का कहना है कि हवेली को संग्रहालय बनाया जाए ताकि हेमू का इतिहास आने वाली भावी पीढियां जान सकें.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!