फरीदाबाद की लिफ्ट में फंसे बच्चे ने दिखाई सहनशीलता, लिफ्ट में ही पूरा कर डाला होमवर्क

फरीदाबाद | हरियाणा के फरीदाबाद जिले की 2 अलग- अलग आवासीय सोसायटी में दो दिन के भीतर 2 अलग- अलग मामले सामने आए हैं, जिनमें बच्चे घंटों तक लिफ्ट में बंद रहे. इस दौरान उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. हालांकि, लिफ्ट में बंद 1 बच्चे ने बिना घबराए अपनी सहनशीलता दिखाई. यहां तक कि ध्यान भटकाने के लिए उसने अपना होमवर्क भी लिफ्ट में ही किया.

Gauravaanvit Faridabad

पहला मामला मानसा ओमेक्स रेजीडेंसी सोसायटी का

पहला मामला मानसा ओमेक्स रेजीडेंसी सोसायटी फरीदाबाद का है. यहां शनिवार शाम एक 8 साल का बच्चा करीब ढाई घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा. बच्चे ने बिना घबराए इस स्थिति का सामना किया और लिफ्ट में आराम से बैठकर स्कूल और ट्यूशन दोनों का होमवर्क पूरा किया.

जानकारी के मुताबिक, गौरवान्वित शाम 5 बजे ट्यूशन के लिए 5वीं मंजिल से लिफ्ट से नीचे गया था. वह आमतौर पर 6 बजे तक ट्यूशन से वापस आ जाता है लेकिन जब वह शाम 7 बजे तक भी नहीं आया तो परिजनों ने ट्यूशन में फोन कर उसके बारे में पूछताछ की. पता चला कि वह आज ट्यूशन पढ़ने नहीं आया. इसके बाद, परिजनों ने उसकी तलाश शुरू कर दी. पता चला कि लिफ्ट शाम 5 बजे से बंद है.

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परिजनों को आशंका थी कि कहीं उनका बेटा लिफ्ट में ही न फंस गया हो. इसकी सूचना तुरंत लिफ्ट मैनेजर को दी गई. जिसके बाद, लिफ्ट को खोलकर देखा गया तो गौरवान्वित अंदर मौजूद था.

3 घंटे बंद रही लिफ्ट

3 घंटे तक लिफ्ट बंद रहने से बच्चे के परिजन काफी नाराज दिखे लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि लिफ्ट के अंदर कोई लॉक है या नहीं. हालांकि, बच्चे का कहना है कि वह जोर से चिल्लाया और इमरजेंसी बटन भी दबाया लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. बच्चे ने बताया कि वह अपना ध्यान भटकाने के लिए लिफ्ट में ही होमवर्क करने लगा.

दूसरा मामला, फरीदाबाद की एसआरएस रेजिडेंशियल सोसायटी का है. सोसायटी के सी7 टावर के फ्लैट नंबर 406 में रहने वाले विकास श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी 11 साल की बेटी स्नेहा जो छठी क्लास में पढ़ती है, रविवार शाम लिफ्ट में फंस गई. लड़की के पिता ने बताया कि वह रोजाना दोपहर 3 बजे से ट्यूशन जाती है और शाम 5:45 बजे तक आती है. कल यानि रविवार को भी वह 5:45 बजे तक वापस आ गयी लेकिन 6 बजे वह फिर चली गयी.

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स्नेहा ढाई घंटे तक लिफ्ट में रही फंसी

इसके बाद, वह काफी देर तक नहीं आई तो आस- पड़ोस में उसके बारे में पूछताछ की लेकिन कहीं से कुछ पता नहीं चल सका. स्नेहा के पिता काफी देर तक उसे ढूंढते रहे और जब ढूंढते- ढूंढ़ते थक गए तो उन्होंने इसी टावर के फ्लैट नंबर 906 में रहने वाले अपने भाई को बताया कि छोटी बच्ची स्नेहा लापता है. जिसके बाद, उसके भाई ने हर टावर में बच्ची को ढूंढना शुरू किया. तभी पता चला कि लड़की ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट में है और लिफ्ट करीब ढाई घंटे से बंद है.

फिर काफी मशक्कत के बाद जब बच्ची बाहर आई तो उसने देखा कि बच्ची की हालत बहुत खराब थी, वह पूरी तरह से पसीने से लथपथ थी. उनका कहना है कि ज्यादा देरी बच्ची के लिए घातक साबित हो सकती थी. फिलहाल, बच्ची ठीक है. विकास श्रीवास्तव ने बताया कि इस दौरान किसी भी गार्ड ने यह जांचने की कोशिश नहीं की कि लिफ्ट बंद होने पर कोई अंदर फंसा हो सकता है या नहीं. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि उनकी कमेटी जॉनसन कंपनी को लिफ्ट मेंटेनेंस के लिए हर साल 24 लाख रुपये देती है. इसके बावजूद, लिफ्ट हमेशा खराब रहती है.

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प्रबंधन कर्मचारियों की सामने आई लापरवाही

2 दिन के अंदर फरीदाबाद की दो अलग- अलग सोसायटियों में हुए ऐसे मामले ये बताने के लिए काफी हैं कि लिफ्ट मैनेजमेंट स्टाफ कितना लापरवाह है. दोनों ही मामलों में अगर लिफ्ट ज्यादा देर तक बंद रहती तो यह गंभीर हादसे का रूप ले सकती थी. ऐसे में जरूरी है कि लिफ्ट मेंटेनेंस कंपनियां इस मामले को गंभीरता से लें और अपने स्टाफ को जागरूक करें.

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