भिवानी | हरियाणा के भिवानी जिले में एक प्रधानाध्यापक अक्सर अपने स्कूल में नंगे पैर घूमते हैं ताकि स्कूल में साफ- सफाई, दरार या गड्ढों का पता लगाया जा सके और उसे ठीक किया जा सके. एक और खास बात ये है कि यह शिक्षक अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ाते हैं. दरअसल, राजकीय उच्च विद्यालय अजीत भिवानी में कार्यरत सुनील कुमार नेत्रहीन प्रधानाध्यापक ने स्कूल में शिक्षा, अनुशासन और साफ-सफाई को लेकर एक मिसाल कायम की है.
अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल में भेजें
दृष्टिबाधित होने के बावजूद वह एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं. सुनील कुमार यहां प्रधानाध्यापक बनकर सिर्फ खानापूर्ति नहीं कर रहे बल्कि वे दूसरे स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से कुछ अच्छा और बेहतर काम कर रहे हैं. इसका अंदाजा उनके स्कूल में बेहतर साफ- सफाई, अनुशासन और शत- प्रतिशत रिजल्ट से लगाया जा सकता है.
कठिनाइयों को चुनौती के रूप में देखा
शिक्षक बच्चों को देश के लिए IAS, IPS से लेकर सैनिक और वैज्ञानिक बनाता है. सुनील कुमार कहते हैं कि जीवन में कई कठिनाइयां और समस्याएं आईं लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने हमेशा चुनौती का सामना किया और उस पर जीत हासिल की. सुनील कुमार का मानना है कि सरकारी स्कूल किसी भी मामले में निजी स्कूलों से पीछे नहीं हैं.
बता दें कि पूरे स्टाफ ने अपनी ड्यूटी पूरी लगन से निभाई, किस शिक्षक ने कितना पढ़ाया, इसके बारे में वे पहले बच्चों से और फिर शिक्षक से अलग- अलग पूछते हैं और निचोड़ निकालते हैं. सुनील कुमार की लगन के सभी कायल हैं. उनके स्कूल के शिक्षक सुरेंद्र यादव बताते हैं कि आंखें नहीं होने के बावजूद सुनील कुमार स्कूल की हर व्यवस्था और गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं.
बेटी को अपने पिता पर गर्व
वह स्वयं बच्चों को बहुत अच्छा पढ़ाते हैं. वहीं, बच्चों का भी कहना है कि उन्हें अपने स्कूल के प्रधानाध्यापक के पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद है. सुनील की बेटी खुद कहती हैं कि उन्हें अपने पिता पर गर्व है. क्योंकि वह हमेशा संघर्ष के रास्ते पर चलकर जीवन में नाम कमाने की प्रेरणा देते हैं. आज सुनील कुमार की चौतरफा तारीफ होती है. साथ ही, लोग उनसे आगे बढ़ने की भी प्रेरणा लेते हैं.
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