नई दिल्ली | चंद्रमा पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद अब ISRO एक हफ्ते के भीतर यानी 2 सितंबर को सूर्य का अध्ययन करने के लिए सौर मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. यह जानकारी स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के निदेशक नीलेश एम देसाई ने एक समाचार एजेंसी एएनआई को है.
पहली अंतरिक्ष आधारित होगी भारतीय प्रयोगशाला
आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित भारतीय प्रयोगशाला होगी. इसे सूर्य के चारों ओर बनने वाले कोरोना के दूरस्थ अवलोकन के लिए डिज़ाइन किया गया है. आदित्य यान सूर्य- पृथ्वी के L1 यानी लैग्रेंजियन बिंदु पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा. यह बिंदु पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. यहां पहुंचने में करीब 120 दिन यानी 4 महीने लगेंगे. यह लैग्रेन्जियन बिंदु के चारों ओर परिक्रमा करेगा, विभिन्न वेब बैंड से सात पेलोड के माध्यम से फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत, कोरोना का परीक्षण करेगा.
आदित्य L1 पूरी तरह से है स्वदेशी
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, आदित्य L1 देश के संस्थानों की भागीदारी से किया जाने वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है. बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए जबकि इंटर- यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है.
यूवी पेलोड का उपयोग कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर को देखने के लिए किया जाएगा जबकि एक्स- रे पेलोड का उपयोग सूर्य की चमक को देखने के लिए किया जाएगा. कण डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कण की हेलो कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान करेगा.
आदित्य वाहन को L1 प्वाइंट पर जाएगा भेजा
आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. इसरो का कहना है कि L1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखा गया उपग्रह बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देख सकता है. इससे रियल टाइम सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी. उम्मीद है कि आदित्य एल1 के पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री- फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों की विशेषताओं, कणों की गति और अंतरिक्ष मौसम को समझने के लिए जानकारी प्रदान करेंगे.
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