चंडीगढ़ | यूपीएससी की परीक्षा हर साल लाखों उम्मीदवार देते हैं. मगर सफलता गिने चुने परीक्षार्थियों को ही मिल पाती है. आज हम बात करेंगे एक ऐसे IAS अधिकारी की जिन्हें परिवार वाले पढ़ाना नहीं चाहते थे, मगर आईएएस बनने के लिए वह अपने जिद पर अडी रही. 8वीं रैंक हासिल करने वाली वन्दना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) के पिता पढ़ाई के लिए दूसरे शहर भेजने को तैयार नहीं थे. दरअसल, उनके परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह आगे पढ़ाई करें.
इन परिस्थितियों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह अपने लक्ष्य पर अड़ी रही. कड़ी मेहनत के दम पर वह यूपीएसएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुईं. वंदना का बचपन से ही यूपीएसएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने का सपना था. ऐसा करने के लिए कड़ी मेहनत की और आज वह एक सफल अधिकारी हैं.
ऐसे किया जीवन में संघर्ष
वंदना सिंह चौहान का जन्म हरियाणा के नसरुल्लागढ़ में हुआ था. वह एक संयुक्त परिवार में पली बढ़ीं, जहां लड़कियों को ज्यादा शिक्षा नहीं दी जाती थी, इसलिए उन्होंने किसी तरह अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की. 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद वंदना ने अपने परिवार वालों की नाराजगी झेलते हुए कानून की पढ़ाई करने के लिए सबसे पहले एलएलबी में दाखिला लिया. साथ ही, उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान परिवार की तरफ से तो कोई सपोर्ट नहीं मिला लेकिन हां इस दौरान उनके भाई ने उनका खूब साथ दिया.
जीवन में कभी नहीं मानी हार
उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए जब दूसरे शहर जाने पर जोर दिया. उनके पिता इस बात से सहमत नहीं थे. इस बारे में एक इंटरव्यू के दौरान उनके पिता ने कहा था कि गांव में अच्छा स्कूल न होने के कारण उन्होंने वंदना के भाई को बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया था. इसके बाद, वह रोज कहती थी कि उसे भी आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर भेज दिया जाए लेकिन वंदना के पिता ने ये बात सुनकर भी उसे अनसुना कर दिया. हालांकि, काफी जिद के बाद आखिरकार पिता ने वंदना को गुरुकुल में दाखिला दिला दिया. पिता के इस फैसले पर उनके परिवार वालों ने नाराजगी जताई. उन्होंने घर पर रहकर न सिर्फ देश की सबसे कठिन परीक्षा पास की बल्कि 8वीं रैंक भी हासिल की.
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