फतेहाबाद का ये श्मशान घाट फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाओं से लैस, 1892 में ब्रिटिश काल में हुआ था विस्तार

फतेहाबाद | अक्सर लोग शमशान घाट को केवल इसी वजह से जानते हैं कि वहां पर दाह संस्कार होता है. मगर आज हम ऐसे शमशान घाट की कहानी बताने जा रहे हैं जो काफी फेमस है और वहां पर लोग घूमने के लिए आते हैं. साथ ही, फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाओं से लैस है. शिवपुरी फतेहाबाद समिति का दावा है कि यह लग्जरी सुविधाओं वाला देश का नंबर वन श्मशान घाट है.

Fatehabad Samsan

यही कारण है कि यहां का शिव पार्क फतेहाबाद, हिसार और सिरसा जिलों में पर्यावरण की दृष्टि से सबसे सुरक्षित पार्क माना जाता है. लोगों के बैठने के लिए 100 से अधिक बेंच लगाए गए हैं जबकि बारिश और धूप से बचाने के लिए जगह- जगह आधुनिक शेड बनाए गए हैं.

हर साल लाखों रुपए का मिलता है दान

इसके अलावा, 12 वाटर कूलर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराते हैं. शिवपुरी फतेहाबाद के 4 शौचालयों की साफ- सफाई और सुंदरता देखकर लोग हैरान हैं. शिवपुरी सभा के सचिव सुनील सचदेवा ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों में शिवपुरी फतेहाबाद में जो विकास हुआ है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है. हर साल लाखों रुपए का दान मिलता है जबकि शिवपुरी संस्था का कोई भी सदस्य कभी भी दान की रसीद वाले लोगों से दान मांगने नहीं जाता, यहां पर साधु संत भी आते हैं.

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131 साल पहले आया था अस्तित्व में

यह श्मशान घाट फतेहाबाद शहर के मध्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9 के किनारे भगवान श्री परशुराम चौक के पास 5 एकड़ भूमि पर बना है, जो एक सर्वजातीय श्मशान घाट है. पिछले 15 वर्षों के विकास के कारण इस श्मशान भूमि ने यह रूप लिया और यह सब जन सहयोग के कारण हुआ है. इतना ही नहीं, एक बार जब कोई व्यक्ति इस श्मशान में प्रवेश करता है तो हैरान रह जाता है. फतेहाबाद के बाहर से आने वाला व्यक्ति यह पूछने पर मजबूर हो जाता है कि क्या यह वास्तव में श्मशान है. यह श्मशान घाट 131 साल पहले अस्तित्व में आया था, जिसे आज स्वर्ग धाम फतेहाबाद के नाम से जाना जाता है.

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श्मशान घाट है ब्रिटिश काल से संबंधित

फतेहाबाद के 80 वर्षीय इतिहासकार डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह श्मशान घाट 1892 में अस्तित्व में आया था. ब्रिटिश काल के दौरान कुलीन सेठ मुसद्दीलाल जोरावर के परिवार ने यहां छतरियां बनवाई थीं, जो आज भी मौजूद हैं. साथ ही, बताया कि इस शिवपुरी का इतिहास यहां की मड़िया पर लिखा हुआ है. 25 साल पहले इस शिवपुरी की हालत ऐसी थी कि 5 एकड़ में फैले इस श्मशान घाट की चारदीवारी तक नहीं थी और जगह- जगह नरकट के जंगल थे.

तब श्मशान घाट फतेहाबाद के दो अमीर परिवारों के दिग्गज मेहता चानन दास और घनश्याम दास नारंग ने शिवपुरी फतेहाबाद में संचालन गतिविधियों में भूमिका निभानी शुरू की थी. इसके बाद दोनों ने शहर के धनाढ्य परिवारों से जुड़े सामाजिक लोगों को श्मशान घाट के विकास में मदद के लिए प्रेरित किया. इसके बाद, स्थिति बदल गई और अब यह एक आलीशान श्मशान घाट बन गया है.

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इस तरह बदल गये शिवपुरी के हालात

शिवपुरी फतेहाबाद में मुख्य सड़क का निर्माण गुजरात के एक व्यवसायी जयंतीभाई कांचवाला के वित्तीय सहयोग से किया गया था. दाह संस्कार स्थल पर करीब 8 झोपड़ियां भी बनाई गईं. 10 साल पहले शिवपुरी श्मशान घाट के अंदर लाखों रुपये की लागत से 700 लोगों की क्षमता वाला शोक कक्ष बनाया गया था. इसके ऊपर लंगर भवन का भी निर्माण कराया गया. आज स्थिति यह है कि एक ही दिन में दो से तीन मौतें हो जाएं तो लोगों को शोक सभा करने के लिए यह हॉल उपलब्ध नहीं है.

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