करनाल कृषि संस्थान ने ईजाद की गेहूं की 5 नई किस्में, मिलेगी 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार; पढ़े खासियत

करनाल | भारत के तकरीबन हर राज्य में गेहूं की खेती होती है. इसकी पैदावार राज्यों की जलवायु पर डिपेंड करती है. एक ही किस्म के बीज से हर राज्य में बंपर पैदावार नहीं हो सकती है. ऐसे में राज्यों की जलवायु को ध्यान में रखते हुए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (ICAR) ने 5 नई किस्में विकसित की है जिनसे किसान कम लागत में अधिक पैदावार ले सकेंगे.

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5 नई किस्में

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा गेहूं की 5 नई किस्में ईजाद की है जिसे विभिन्न राज्यों में जलवायु के हिसाब से बिजाई की जाएगी. ये नई किस्में DBW 370, DBW 371, DBW 372, DBW 55 और DBW 316 है.

जलवायु के आधार पर तैयार की गई है नई किस्में

  • DBW 370, 371,372 किस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए
  • DBW 55 मध्य भारत के लिए
  • DBW 316 पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए
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अगेती- पिछेती बिजाई का भी ध्यान

बता दें कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जब भी कोई नई किस्म विकसित की जाती है तो वह जलवायु के साथ- साथ वहां के फसल चक्र और कटाई के आधार को भी ध्यान में रखा जाता है. फसल चक्र के चलते किसान कई स्थान पर गेहूं की बिजाई जल्दी करते हैं तो कई क्षेत्र में गेहूं की बिजाई देरी से करते हैं. इसलिए इन पांचों किस्मों को अगेती और पछेती में बांटा गया है.

DBW 370, 371, 372 किस्मों की बिजाई अगेती की जाती है, जिसकी 25 अक्टूबर से शुरुआत होती है. अगेती बिजाई के लिए 15 नवंबर तक का समय उपयुक्त रहता है. वहीं, DBW 316 और DBW 55 किस्मों की बिजाई पछेती की जाती है, जो बासमती धान की कटाई के बाद होती है. पछेती गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय 1 दिसंबर से 25 दिसंबर तक रहता है.

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कितनी पैदावार देगी नई किस्में

ICAR करनाल निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि संस्थान द्वारा जो भी नई किस्में ईजाद की जाती है तो विभाग को सभी से काफी उम्मीदें रहती है ताकि किसान इन किस्मों की बिजाई कर बंपर पैदावार ले सकें. उन्होंने बताया कि नई किस्में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी लेकिन किसानों को 15 अक्टूबर से गेहूं की इन किस्मों की बिजाई करनी होगी. अगेती बिजाई वाले खेतों में उत्पादन अच्छा रहेगा.

नई किस्मों की खासियत

  • गेहूं की ये नई किस्में 160 दिन में पककर तैयार हो जाएगी.
  • अगेती बिजाई वाली गेहूं की तीन बार सिंचाई की जाती है लेकिन विभाग ने जो पछेती किस्म तैयार की, उनमें अनुमान लगाया जा रहा है कि 2 बार की सिंचाई से पैदावार अच्छी होगी.
  • इन सभी नई किस्म को इस तरीके से तैयार किया गया है, ताकि इन किस्म में कीट व रोगों का प्रकोप कम हो और किसान इससे अच्छी पैदावार ले सकें.
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15 सितंबर से बीज के लिए करें आवेदन

डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि नई किस्म के बीज के लिए संस्थान के अधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर आवेदन करने के लिए 15 सितंबर से खोल दिया जाएगा. इसमें किसान आधार कार्ड की फोटो कॉपी लगाकर आवेदन कर सकते हैं, जो किसान पहले आवेदन करेंगे उनको पहले बीज दिया जाएगा.

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