ज्योतिष | भाद्रपद महीने की शुक्ल पूर्णिमा के बाद पितृपक्ष की शुरुआत होती है और पितृपक्ष आश्विन महीने के कृष्ण अमावस्या तक चलता है. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है, जो तकरीबन 14 अक्टूबर तक चलने वाला है. पितृपक्ष का महीना पितरों को समर्पित माना जाता है. इस दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके और वह हमें खुश रहने का आशीर्वाद दे सके. कहा जाता है कि अगर आपके पितृ आपसे प्रसन्न है तो आपके परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है.
पितृ पक्ष के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान
जब भी आप पितरों का तर्पण करें, तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं कि आपको पितरों को हमेशा किस दिशा में जल चढ़ाना चाहिए. वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया कि श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण किया जाना भी बेहद ही जरूरी होता है. अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है, अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है.
इस प्रकार आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं पितृ
आपको सबसे पहले तर्पण की सामग्री लेनी है और फिर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठना है. उसके बाद हाथ में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तेल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें और जल को ग्रहण करने की उनसे प्रार्थना करें. पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से आपके पितृ आपसे प्रसन्न हो जाते हैं.
यदि हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में सभी प्रकार की परेशानियां समाप्त हो जाए, तो जरूरी है कि हमारे पितृ हमसे प्रसन्न हो. पितरों को जो, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खास मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से आपको विशेष लाभ मिलता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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