ज्योतिष | जल्द ही पितृपक्ष की शुरुआत होने वाली है. पितृपक्ष 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं और 14 अक्टूबर तक पितृपक्ष चलने वाले हैं. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) को काफी खास माना जाता है. अबकी बार आप 17 दिनों तक अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. जैसा कि आपको पता है कि हर साल पितृपक्ष भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन महीने की अमावस्या तक चलते हैं. पितृपक्ष को ही श्रद्धा या महालय भी कहा जाता है.
पितृपक्ष के दौरान भूल कर भी ना करें यह कार्य
इन दिनों पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसके विपरीत, पितृपक्ष के दौरान कई ऐसे कार्य होते हैं जो हमें भूलकर भी नहीं करने चाहिए. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं. आपने भी सुना होगा कि पितृपक्ष के दौरान दाढ़ी और बाल नहीं कटवाने चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि इस बात में कितनी सच्चाई है.
पितृपक्ष यानि की श्राद्ध के दौरान कई लोग बाल, दाढ़ी, नाखून काटने से परहेज करते हैं. शास्त्रों में दी गई जानकारी के अनुसार, जिस भी व्यक्ति की तरफ से पितृ कर्म किया जाता है यानी कि वह व्यक्ति जो हर रोज पितरों को तर्पण और श्राद्ध तिथि के दिन श्राद्ध कर्म करता है उनको बाल, दाढ़ी, मूछ या नाखून काटने से परहेज करना चाहिए बाकी के अन्य लोगों के लिए किसी प्रकार की कोई भी मनाही नहीं होती. यदि आप भी इन सब चीजों में यकीन करते हैं, तो आप पितृपक्ष की पूर्णिमा के दिन बाल या नाखून काट सकते हैं. क्योंकि पितृपक्ष का समय पितरों को याद करने और सात्विक भाव से जीने के लिए जाना जाता है.
इन कार्यों को करने की भी होती है मनाही
ऐसे में श्राद्ध तर्पण करने वाले व्यक्ति को बाल व नाखून नहीं काटने चाहिए. हर व्यक्ति पर तीन प्रकार के ऋण होते हैं, जिसमें से पहला ऋण देवताओं का, दूसरा ऋण ऋषि का और तीसरा ऋण पितरों का होता है.
इसके अलावा, पितृपक्ष के दौरान आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान कई अन्य कामों को लेकर भी मनाए होती है. जैसे पितृ पक्ष के दौरान आपको लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही, आपको बासी खाना भी नहीं खाना चाहिए और मांगलिक कार्य इस पक्ष में नहीं किए जाते. इन दिनों आपको ब्रह्मचर्य का व्रत करना चाहिए.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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