चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने नगर पालिका परिषद और नगर पालिका समिति के अध्यक्षों को बड़ा झटका दिया है. प्रदेश सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले बढ़ाए गए वित्तीय अधिकार के प्रयोग में शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग के द्वारा कुछ शर्तें जोड़ दी गई है. इन शर्तों के तहत, हर बिल भुगतान का नागरिक निकाय द्वारा 10 दिन के भीतर फैसला किया जाएगा. इसके साथ ही, पेमेंट कमेटी की 10 दिन में एक बैठक आयोजित करना अनिवार्य होगा.
सरकार के द्वारा नगर पालिका परिषद और समिति अध्यक्ष को 50 लाख रुपए तक के भुगतान के लिए संबंधित शहरी स्थानीय निकाय की भुगतान अप्रूवल कमेटी का चीफ बनाया गया है. इसके साथ ही, 50 लाख रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट के लिए संबंधित डिस्ट्रिक्ट म्यूनिसिपल कमिश्नर को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
पेमेंट को लेकर ये होंगे नए नियम
- 50 लाख रूपए तक के भुगतान के लिए अप्रूवल कमेटी के चीफ होंगे एमसी अध्यक्ष
- 50 लाख से अधिक के भुगतान के लिए एमसी आयुक्त को मिली जिम्मेदारी.
- पेमेंट अप्रूवल कमेटी की महीने में तीन बैठक आयोजित होनी चाहिए.
- सभी योजनाओं के लिए ई टेंडरिंग प्रकिया जरूरी.
इन शर्तों का करना होगा पालन
स्थानीय निकाय विभाग के सचिव विकास गुप्ता ने ठेकेदारों को पेमेंट जारी करने के लिए कुछ शर्तें जोड़ी गई है. इनमें नगरपालिका कार्यों की ई- टेंडरिंग, सक्षम प्राधिकारी द्वारा भुगतान वृद्धि राशि की मंजूरी, भुगतान की मंजूरी से पहले जिला स्तरीय निगरानी समिति की सिफारिश और कुछ ठेकेदारों के पक्ष में कार्यों का विभाजन न करना शामिल रहेगा.
कमेटी में ये लोग होंगे शामिल
भुगतान जारी करने के लिए नागरिक निकायों को एक समय- सीमा दी गई है. जिला मुख्यालय की नगर पालिका परिषद के मामले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी या नगर पालिका परिषद- नगरपालिका समिति के कार्यकारी अधिकारी समिति के सदस्य होंगे. संबंधित पार्षद, जिनके वार्डों में विकास कार्य हुए हैं, वे भी भुगतान अनुमोदन समिति के सदस्य होंगे. बैठक की तिथि, समय और स्थान तय करने का अधिकार नगर निकाय अध्यक्ष को दिया गया है.
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