हरियाणा के इस सरकारी स्कूल ने प्राइवेट स्कूलों को भी पछाड़ा, सामाजिक संस्था ने यूं बदली तस्वीर

नूंह | हरियाणा के नूंह को सबसे पिछड़े जिले का दर्जा प्राप्त है लेकिन इसी जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है जो शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के मामलों में प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ रहा है. बीवां गांव में स्थित यह सरकारी स्कूल आज अपने परीक्षा परिणाम और सुविधाओं के चलते चारों ओर सुर्खियों में छाया हुआ है.

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राजकीय माध्यमिक स्कूल, बीवां में छात्रों की संख्या का आंकड़ा लगभग 350 है, जिनमें 200 लड़के व 150 लड़कियां शामिल हैं. इस स्कूल की खास बात यह है कि हरियाली से लेकर पार्क, पेड़, मैथमेटिकल पार्क, स्टेज, शौचालय, कंप्यूटर लैब सहित खेल मैदान इत्यादि की बेहतरीन व्यवस्थाएं की गई हैं.

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स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं को देखने के लिए शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारी ही नहीं बल्कि दूर- दराज तक के लोग आते हैं. यह प्रदेश का पहला आइएसओ सर्टिफाइड सरकारी स्कूल है.

सामाजिक संस्था ने बदली तस्वीर

मिली जानकारी के अनुसार, समाजसेवी एसएस संधू ने इस गांव में जमीन खरीदी और एक फॉर्म हाउस बनाया. गांव में ग़रीबी, शिक्षा का अभाव और बुनियादी सुविधाओं के टोटे को देखते हुए उन्होंने इस गांव को एक तरह से गोद ही ले लिया था. गांव और गांव के सरकारी स्कूल की दशा बदलने के लिए उन्होंने वर्ष 2015- 16 में एबीएस फाऊंडेशन बनाकर मदद शुरू कर दी.

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इस स्कूल के भवन से लेकर सभी बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसको आइएसओ सर्टिफाइड स्कूल बनवा दिया. तकरीबन 8 साल पहले एबीएस फाऊंडेशन ने अपने खर्चे से इस स्कूल में एक महिला अध्यापक नियुक्त की थी, जो आज तक बच्चों को पढ़ा रही है.

इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को शिक्षा में मात दे सकें, इसलिए हर माह “स्टार ऑफ द मंथ” कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और विजेता छात्र को स्टेशनरी मुफ्त में दी जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि नूंह जिले के प्रत्येक सरकारी स्कूल में बच्चों को इस तरह की सुविधाएं मिल सकें तो शिक्षा के क्षेत्र में यह इलाका अव्वल दर्जे में आ सकता है.

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इसी के साथ स्कूल खेलों को बढ़ावा देने के मामले में भी पीछे नहीं हैं. पिछले कई साल से एबीएस फाऊंडेशन की मदद से इसी स्कूल प्रांगण में प्रो कबड्डी लीग का आयोजन भी करवाया जा रहा है. जिले के ही नहीं बल्कि प्रदेश भर के स्कूलों को इस स्कूल से सीख लेने की जरूरत है.

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