करनाल | केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI) ने हरियाणा सहित आसपास के राज्यों के किसानों को बड़ी खुशखबरी दी है. संस्थान द्वारा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर और खासतौर पर UP के लवणीय जमीन वाले क्षेत्रों के लिए सरसों की बेहद खास तरह की नई किस्म ईजाद की है. इससे उन क्षेत्रों में भी सरसों की फसल लहलहाएगी, जहां अभी सरसों का एक दाना भी पैदा नहीं होता है.
इन तीनों किस्मों का बीज साल 2024 से किसानों को मिलना शुरू हो जाएगा. हालांकि, सरसों की कुछ लवणसहनशील किस्में पहले से मौजूद हैं, जिनका बीज संस्थान ने वितरण करना शुरू कर दिया है. बता दे इसकी बिजाई 25 अक्तूबर तक की जा सकती है.
ये हैं 3 नई किस्में
हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों के साथ- साथ खासतौर पर उत्तर प्रदेश के इटावा, हरदोई, प्रतापगढ़, कौशांबी, अवध क्षेत्र, लखनऊ, कानपुर आदि एक बड़ा भूभाग क्षारीय है, जहां अभी सरसों की पैदावार होती ही नहीं है. ऐसे क्षेत्रों में लवणसहनशील तीन नई किस्मों CS- 61, CS- 62 और CS- 64 के बीज काफी लाभकारी साबित होंगे.
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इनमें से दो किस्में CS- 61 और CS- 62 यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों के लिए अनुशंसित कर दी हैं जबकि तीसरी किस्म CS- 64 को केंद्रीय कृषि विमोचन समिति ने रिलीज कर दिया है. हालांकि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों के लिए संस्थान में तैयार की गई लवणरोधी किस्में CS- 56, CS- 58 और CS- 60 को पहले ही रिलीज किया जा चुका है और इनका बीज किसानों को उपलब्ध कराया जा चुका है.
तेल की मात्रा होगी ज्यादा
CSSRI के प्रधान वैज्ञानिक डॉ जोगेंद्र सिंह ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में ये तीनों किस्में 27- 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देगी जबकि क्षारीय भूमि में इनकी पैदावार लगभग 21- 23 क्विंटल तक रहेगी. इन किस्मों की विशेषता यह है कि इनमें तेल की मात्रा 41 फीसदी होगी जबकि अन्य में 38 फीसदी रहती है. वहीं, इन नई किस्मों के लिए बिजाई का अनुकूल समय 1 से 25 अक्टूबर तक रहेगा.
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