चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने शहरों की छोटी सरकार के लिए सत्ता का विकेंद्रीकरण करने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नगर निगमों के मेयर को जेई सहित ग्रुप C और D कर्मियों को सस्पेंड करने का अधिकार दे दिया है. गुरुवार को सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हरियाणा निवास पर राज्य के नगर निगमों के मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर की एक बैठक बुलाई गई थी. इस मीटिंग के दौरान सीएम मनोहर लाल ने मेयर को जेई सहित ग्रुप C और D कर्मियों को सस्पेंड करने के लिए अधिकृत किया.
इसके अलावा, इस बैठक में मेयरों की प्रशासनिक स्वीकृति को 2.50 करोड़ रूपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रूपए करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मेयर एक बड़े क्षेत्र का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है और हमारी सरकार ने पिछले नौ साल के दौरान पंचायती राज संस्थानों के लिए भी सत्ता का विकेन्द्रीकरण कर कई प्रकार के अधिकार दिए हैं.
मनोहर लाल ने कहा कि पहले की सरकारों में सत्ता का केन्द्रीकरण होता था, जबकि हमने सत्ता का विकेंद्रीकरण किया है. केंद्रीय वित्त आयोग तथा राज्य वित्त आयोग की तरफ से नगर निगमों को तीसरी तिमाही का लगभग 700 करोड़ रुपये आवंटित किया जाना है. मेयर अपने क्षेत्र के विकास कार्यों का अनुमान तैयार कर शीघ्र ही इसे सरकार को भेजें.
सीएम ने कहा कि विकास कार्यों में क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों सरकार ने 404 अवैध कालोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी, जिनमें से 151 कालोनियां नगर निगम के अंतर्गत आती है.
उन्होंने कहा कि नगर निगमों का दायरा बढ़ने से कई गांव इसमें शामिल हुए हैं तथा इन गांवों में लाल डोरे के दायरे से बाहर कई कॉलोनियां बन गई हैं, जिसमें कृषि भूमि भी शामिल है. इस पर नगर निगमों द्वारा लगभग 4 करोड़ रुपये का संपत्ति कर लगाया गया है, जिसे लौटाना होगा क्योंकि कृषि भूमि पर किसी प्रकार का सम्पति कर नहीं लगाया जा सकता है.
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