करनाल | धान उत्पादक किसानों की परेशानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. मंगलवार को दिल्ली में हुई अखिल भारतीय चावल निर्यात एसोसिएशन की बैठक में तय किया गया कि जब तक केंद्र सरकार निर्यात सीमा में बदलाव कर उसे कम नहीं करती है तब तक देशभर के चावल निर्यात बासमती या इस श्रेणी में आने वाली किस्मों के धान की खरीद नहीं करेंगे.
अखिल भारतीय चावल निर्यात एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाथीराम गुप्ता ने बताया कि सभी बासमती चावल निर्यातकों ने तय किया है कि जब तक केंद्र सरकार निर्यात सीमा को 1200 डालर प्रति टन से कम नहीं करती है, तब तक निर्यातक बासमती व उसकी श्रेणी में आने वाली 1509, 1121, 1401, पूसा-1 आदि किस्मों के धान की खरीद नहीं करेंगे.
उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से बैठक हुई थी लेकिन इसके बाद भी सरकार द्वारा 1200 डालर प्रति टन का आदेश जारी कर दिया गया. उन्होंने बैठक के दौरान सरकार से बातचीत कर समाधान का आश्वासन दिया था जबकि निर्यात सीमा वाणिज्य मंत्री को ही तय करनी है.
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अखिल भारतीय चावल निर्यात एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सुशील जैन ने बताया कि निर्यातकों के पास पहले से ही इतना धान और चावल है, जिसका निर्यात नहीं हो पा रहा है. ऐसे में आगे किस आधार पर धान की खरीद करें, इसका निर्यात आखिर कहां करेंगे, इसलिए बदलाव होने तक फिलहाल बासमती व उस श्रेणी की किस्मों के धान की खरीद बंद रहेगी.
उन्होंने बताया कि राइस मिलर्स और अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने इस आंदोलन में निर्यातकों का साथ देने का वादा किया है, लेकिन राइस मिलर्स एसोसिएशन के साथ फिर बातचीत की जाएगी ताकि सरकार शीघ्रता से निर्यात सीमा पर कोई निर्णय करे. इस समय भारत से बासमती चावल का निर्यात पूरी तरह बंद है, जिससे विश्व बाजार में भी भारतीय बासमती चावल को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.
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