झज्जर | भारत में दिवाली पर कुछ शहरों में आज भी मिट्टी के दीयों की महक महसूस की जाती है. मुंबई में मिट्टी के दीयों का क्रेज अभी भी बरकरार है. बता दे मुंबई के करीब 40 थोक विक्रेता लंबे समय से हरियाणा के झज्जर जिले से मिट्टी के दिये खरीद रहे हैं और इतना ही नहीं यह मांग कम नहीं हो रही है बल्कि बढ़ती ही जा रही है.
मिट्टी की गुणवत्ता काफी बेहतर
पहले मिट्टी के दीये बनाना कोई संगठित उद्योग नहीं माना जाता था, लेकिन अब कुम्हारों के कई परिवार मिलकर दीये बनाने का काम कर रहे हैं. हरियाणा के इन खास दीयों की मुंबई और पुणे के बाजारों में काफी डिमांड है. इन दीयों में इस्तेमाल की गई मिट्टी की गुणवत्ता काफी बेहतर है.
2 करोड़ दिए होते हैं तैयार
झज्जर जिले और रोहतक जिले में कुम्हारों के लगभग 100 परिवार बड़े शहरों की थोक आपूर्ति को पूरा करने के लिए साल भर दीपक बनाते हैं. 2 करोड़ दीये बनाना बहुत मेहनत का काम है और ये काम कोई एक परिवार नहीं कर सकता. इसलिए अलग-अलग गांवों के कुम्हारों के परिवार दीये बनाते हैं और ऑर्डर पूरा होने के बाद इन दीयों को झज्जर से गुजरात, महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों तक पहुंचाया जाता है.
विशेष ऑर्डर पर तैयार होते हैं ये बर्तन
मिट्टी के बर्तनों के साथ-साथ साधारण दिया, पान दिया, गणेश दिया, गणेश थाली, नारियल के बर्तन भी बनाए जाते हैं. झज्जर के दीपक की बात ही कुछ अलग है, जिसमें नीचे से तेल डाला जाता है और ऊपर से रोशनी देता है. इन्हें विशेष ऑर्डर पर ही बनाया जाता है.
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