चंडीगढ़| पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से साफ कर दिया है कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत पदों पर नियुक्ति के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किये बिना और उचित आदेश पारित किए बिना चयनित उम्मीदवारों का निहित अधिकार नहीं छीना जा सकता है. जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने यमुना नगर निवासी रणधीर सिंह और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है. सिलेक्शन के बाद कम अनुभव के आधार पर HKRN की तरफ से कला शिक्षा सहायक के पद पर ज्वाइनिंग खारिज कर दी गई थी.
कम अनुभव के आधार पर नहीं कह सकते अवैध
हाई कोर्ट ने देखा कि अगर याचिकाकर्ताओं को केवल नीति में निर्धारित जरूरी योग्यता के आधार पर कला शिक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था, तो इसे कम अनुभव के आधार पर अवैध या अनियमित नहीं कह सकते है, जो कि एक आवश्यक ने शर्त नहीं है. पीठ का कहना है कि भर्ती नीति के अनुसार विज्ञापन में केवल अनुभव ऐच्छिक था यह कंपल्सरी नहीं था. ऐसे में कम अनुभव की वजह से याचिकाकर्ताओं की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती थी.
कर्मचारियों के बर्खास्तगी के विवादित आदेश नहीं उचित: हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार यह नहीं बता सकी कि भर्ती के लिए क्या कोई अनुभवी उम्मीदवार मौजूद था, जिसे नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ताओं से पहले प्राथमिकता दी जा सकती थी. हाई कोर्ट ने बताया कि इस तरह इन कर्मचारियों के बर्खास्तगी के विवादित आदेश सही नहीं हैं क्योंकि इन्हें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है. कला शिक्षा सहायकों के रूप में नियुक्त होने के बाद याचिकाकर्ताओं के निहित अधिकार को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना, उनके जवाब पर विचार किए बिना और मौखिक आदेश पारित किए बिना नहीं छीना जा सकता था.
हाई कोर्ट ने कहा कि इन बुनियादी आवश्यकताओं का पालन करने में विफलता के कारण निगम द्वारा पारित आदेश वैध नहीं है. निगम द्वारा पारित 31 अगस्त 2022 के आदेश रद किया जाता है. ये हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सेवा में बहाल करने और बकाया वेतन को छोड़कर सभी लाभ जारी करने के लिए निर्देशित भी किया है.
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